दुर्लभ बीमारी का मज़ाक उड़ाने पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, कॉमेडियन समय रैना समेत पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को कोर्ट में पेश होने का आदेश

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) जैसी दुर्लभ बीमारी से पीड़ित लोगों का सोशल मीडिया पर मज़ाक उड़ाने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने कॉमेडियन और “इंडियाज़ गॉट लैटेंट” शो के होस्ट समय रैना समेत पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मुंबई पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि इन सभी इन्फ्लुएंसर्स को नोटिस तामील कराएं। कोर्ट ने कहा कि यदि वे पेश नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कोर्ट ने इस कथित मज़ाक को “बेहद अपमानजनक और मनोबल गिराने वाला” करार दिया और कहा कि इस तरह की हरकतें उन प्रयासों को नुकसान पहुंचाती हैं जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें समाज में समावेशित करने के लिए किए जा रहे हैं।

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एनजीओ क्योर SMA फाउंडेशन ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सोशल मीडिया पर दिव्यांग और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों के बारे में टिप्पणी करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाने की बात पर सहमति जताई।

वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह की ओर से पेश एनजीओ ने मांग की कि ऐसे मामलों में कानून के तहत दंडात्मक और उपचारात्मक कदम उठाए जाएं। इस पर कोर्ट ने कहा, “आपको कानून के तहत कोई उपचारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई पर विचार करना चाहिए।”

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है। “किसी को भी इस अधिकार की आड़ में किसी का अपमान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती,” पीठ ने कहा।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि से भी इस मामले में सहयोग और कानूनी सुझाव देने को कहा है, ताकि ऑनलाइन सामग्री के नियमन को लेकर प्रभावी दिशा-निर्देश तैयार किए जा सकें।

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