दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल में जेल अधिकारियों की मिलीभगत से कथित रूप से चल रहे वसूली रैकेट की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को प्रारंभिक जांच (Preliminary Inquiry) करने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि वे प्रशासनिक व पर्यवेक्षणीय चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करते हुए तथ्यात्मक जांच करें।
अदालत ने कहा, “याचिका में जेल अधिकारियों और कैदियों द्वारा की गई अनियमितताओं, गैरकानूनी गतिविधियों, कदाचार और वसूली जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप इतने गंभीर हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि जेल अधिकारियों की मिलीभगत से जेल परिसर में विशेष सुविधाएं दिलाने के लिए वसूली रैकेट चल रहा था।”
अदालत के समक्ष सील कवर में दी गई सेंट्रल जेल नंबर 8 और सेमी ओपन जेल के निरीक्षण न्यायाधीश की रिपोर्ट में “बेहद चिंताजनक तथ्य” सामने आए, जिससे जेल प्रशासन में अपराध और अनियमितताओं की पुष्टि हुई है।
कोर्ट ने कहा, “रिपोर्ट में आपराधिक गतिविधियों के संकेत होने के कारण हम CBI को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दे रहे हैं।” इसके साथ ही दिल्ली सरकार के गृह सचिव को प्रशासनिक जांच कर संबंधित दोषी अधिकारियों की पहचान करने का भी निर्देश दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि जेल महानिदेशक को इस प्रशासनिक जांच में पूर्ण सहयोग देना होगा।
कोर्ट ने यह भी बताया कि निरीक्षण रिपोर्ट में मोबाइल कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR) समेत ऐसे सबूत हैं, जो जेल के अंदर और बाहर के लोगों के बीच हुई बातचीत को दर्शाते हैं, और यह भी पाया गया कि जेल की आधिकारिक लैंडलाइन का इस्तेमाल “अवैध गतिविधियों” को बढ़ावा देने में किया गया।
हालांकि रिपोर्ट में याचिकाकर्ता की भूमिका पर भी कुछ संदेह जताया गया है, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि CBI की जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से की जाएगी और इसमें याचिकाकर्ता व जेल प्रशासन दोनों पक्षों से सबूत लेने का मौका मिलेगा।
CBI और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को अपनी रिपोर्ट 11 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई से पहले दाखिल करने को कहा गया है।