कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 25 अप्रैल को कोर्ट परिसर के पास कुछ वकीलों के साथ हुई कथित बदसलूकी को गंभीरता से लेते हुए कोलकाता पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह इस घटना पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करें और वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवज्ञाननम ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी, न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति राजर्षि भट्टाचार्य की विशेष पीठ गठित की। पीठ ने पुलिस आयुक्त को आदेश दिया कि वे इस मामले की जांच करें और उन सभी व्यक्तियों की पहचान करें जिन्होंने इस घटना में भाग लिया या इसके लिए जिम्मेदार हैं।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस आयुक्त 25 अप्रैल की शाम को किरण शंकर रॉय रोड और ओल्ड पोस्ट ऑफिस स्ट्रीट के चौराहे पर हुई इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखें और 19 मई तक अदालत में रिपोर्ट दाखिल करें।

पीठ ने प्रारंभिक तौर पर माना कि यह घटना न्याय के कार्य में हस्तक्षेप और न्यायपालिका को बदनाम करने के दायरे में आती है, जो कि आपराधिक अवमानना के अंतर्गत आता है। कोर्ट ने याचिका में नामित आठ कथित अवमाननाकारियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है और उन्हें सभी संबंधित हलफनामों और दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराने को कहा है। उन्हें नोटिस मिलने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने की छूट दी गई है।
इस मामले की शुरुआत उस समय हुई जब कुछ वकीलों ने 28 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश रंजन भट्टाचार्य के साथ हुई कथित बदसलूकी की जानकारी दी। वकीलों ने बताया कि भट्टाचार्य और उनके सहयोगियों को हाईकोर्ट के सामने उनकी चेम्बर के पास कुछ लोगों ने “घेराव” कर बदसलूकी की।
यह भी आरोप लगाया गया कि बदसलूकी करने वाले संभवतः कुछ मुकदमों से जुड़े पक्षकारों से संबंधित हो सकते हैं। वकीलों ने इस घटना की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई है और अदालत से इस पर संज्ञान लेने का आग्रह किया।
कोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट जनरल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और हाईकोर्ट की तीनों बार संस्थाओं — बार एसोसिएशन, बार लाइब्रेरी क्लब और इन्कॉरपोरेटेड लॉ सोसाइटी — के सचिवों को भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।