100% फ्रूट जूस’ लेबल भ्रामक और अवैध: केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में डाबर पर उठाए सवाल

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि डाबर इंडिया द्वारा अपने ‘रियल’ ब्रांड पर इस्तेमाल किया जा रहा “100% फ्रूट जूस” लेबल उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाला, कानूनन अवैध और भ्रामक है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की ओर से दायर एक संयुक्त हलफनामे में यह बात कही गई है।

यह हलफनामा डाबर द्वारा दायर उस याचिका के जवाब में दायर किया गया है, जिसमें कंपनी ने FSSAI के 3 जून 2024 के निर्देश को चुनौती दी थी। उक्त निर्देश में सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (FBOs) को “100% फ्रूट जूस” जैसे दावों को लेबल और विज्ञापन से हटाने का निर्देश दिया गया था।

READ ALSO  ईडी ने शाजहान शेख की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया, कहा कि वह बहुत प्रभावशाली है

“100% फ्रूट जूस” लेबल को बताया गया ‘भ्रामक’

सरकार ने अपने 29 पन्नों के हलफनामे में कहा, “’100% फ्रूट जूस’ जैसा दंभकारी दावा न केवल कानूनन मान्यता से रहित है, बल्कि यह उपभोक्ताओं को गुमराह करता है और खाद्य लेबलिंग और विज्ञापन में पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।”

Video thumbnail

FSSAI की वैज्ञानिक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि “100%” जैसे दावे तब अनुचित माने जाते हैं, जब उत्पाद की सामग्री सूची में पानी और फ्रूट जूस कंसन्ट्रेट शामिल हो। हलफनामे में कहा गया कि इस तरह का दावा उत्पाद की गुणवत्ता नहीं, बल्कि मात्रात्मकता दर्शाता है, जो नियामक उद्देश्यों के अनुरूप नहीं है।

READ ALSO  कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध: मुस्लिम लड़कियों की हेडस्कार्फ़ में परीक्षा देने की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट बेंच गठित करेगा

डाबर ने बताया व्यापार का अधिकार, कोर्ट ने नहीं दी राहत

डाबर ने अपनी याचिका में कहा कि यह निर्देश उसके मौलिक व्यापार अधिकारों का उल्लंघन है और इससे उसे ब्रांडिंग और संचालन में नुकसान हो रहा है।

हालांकि, 2 अप्रैल को अदालत ने कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रेमतोष कुमार मिश्रा ने तर्क दिया कि कानून किसी भी खाद्य उत्पाद, विशेषकर फलों के रस में, “100%” जैसे शब्दों के उपयोग की अनुमति नहीं देता।

सरकार ने यह भी कहा कि डाबर को ऐसा लेबलिंग अभ्यास जारी रखने का कोई ‘न्यायिक अधिकार’ नहीं है जो विधिसम्मत नहीं है।

READ ALSO  पत्नी द्वारा प्रताड़ना या दुर्व्यवहार की शिकायत के मामलों में धारा 498A को स्वचालित रूप से लागू नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

अगली सुनवाई 7 जुलाई को

यह मामला अब 7 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। कोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि उपभोक्ता उत्पादों के विज्ञापन और लेबलिंग में किन दावों की अनुमति होगी और इससे खाद्य और पेय क्षेत्र में पारदर्शिता को लेकर नई दिशा मिल सकती है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles