इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलपति के आचरण पर कड़ी नाराज़गी जताई है और उनसे उस आदेश की अवहेलना के लिए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जिसमें एक कॉलेज की प्रबंधन समिति की मान्यता के संबंध में निर्देश दिए गए थे।
न्यायमूर्ति सराल श्रीवास्तव की एकल पीठ गांधी स्मारक देवनागरी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्रबंधन समिति द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने कहा कि कुलपति का यह रवैया प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है और न्यायालय के बाध्यकारी आदेशों की अवहेलना के समान है।
कोर्ट ने 8 नवम्बर 2024 को स्पष्ट निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाए। इसके बावजूद कुलपति ने 24 फरवरी 2025 को याचिकाकर्ता की आपत्तियों को बिना किसी कारण बताए, केवल औपचारिक रूप से खारिज कर दिया।

इस पर नाराज़गी जताते हुए अदालत ने कुलपति को निर्देश दिया कि वे स्पष्ट करें कि उन्होंने ऐसा आदेश किस आधार पर पारित किया और न्यायालय के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया।
फिलहाल, न्यायालय ने 20 सितम्बर 2024 और 24 फरवरी 2025 को पारित आदेशों की कार्रवाई और प्रभाव पर रोक लगा दी है।