सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के मसौदा संविधान के अंतिम रूप पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। यह मसौदा संविधान शीर्ष अदालत के निर्देश पर सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एल. नागेश्वर राव द्वारा तैयार किया गया था।
जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने वरिष्ठ वकीलों रणजीत कुमार, राहुल मेहरा और न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) गोपाल संकरणारायणन सहित कई पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
यह मामला AIFF के आंतरिक ढांचे में सुधार और उसके संविधान में व्यापक बदलाव से जुड़ा है। मसौदा संविधान में कार्यकाल, उम्र सीमा और खिलाड़ियों की भागीदारी से संबंधित कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं।
मसौदा के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अधिकतम 12 वर्षों तक ही पदाधिकारी रह सकेगा, जिसमें दो लगातार चार साल के कार्यकाल की सीमा तय की गई है। आठ वर्षों तक पद पर रहने के बाद चार वर्षों का “कूलिंग ऑफ” पीरियड अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त, 70 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद किसी को भी खेल संस्था का सदस्य नहीं बनाया जा सकेगा।
कार्यकारी समिति में 14 सदस्य शामिल होंगे, जिनमें एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष (एक महिला अनिवार्य), एक कोषाध्यक्ष और 10 अन्य सदस्य होंगे। इनमें से पांच सदस्य प्रतिष्ठित खिलाड़ी होंगे, जिनमें कम से कम दो महिलाएं होंगी।
मसौदा संविधान में पहली बार अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हटाने का प्रावधान भी शामिल किया गया है, जो वर्तमान AIFF संविधान में नहीं है।
शीर्ष अदालत ने 25 मार्च से इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू की थी। कई राज्य संघों और पूर्व खिलाड़ियों द्वारा मसौदा संविधान की विभिन्न धाराओं पर आपत्तियां जताई गई थीं। न्याय मित्र संकरणारायणन ने कोर्ट को बताया कि कुछ सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन जो सुझाव सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों या राष्ट्रीय खेल संहिता के खिलाफ थे, उन्हें शामिल नहीं किया गया।
कोर्ट ने पहले ही जस्टिस राव को मसौदा तैयार करने और सभी हितधारकों की आपत्तियों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।