मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स में योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति में बीएनवाईएस (Bachelor of Naturopathy and Yogic Sciences) डिग्री धारकों को प्राथमिकता देना राज्य सरकार का अधिकार है और यह निर्णय वैधानिक एवं उचित है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने रिट याचिका संख्या WP(MD) No.13342 of 2021 में पारित किया, जो याचिकाकर्ता कासीनाथदुरै द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ता योग में डिप्लोमा और एम.एससी. डिग्री धारक हैं, लेकिन उनके पास बीएनवाईएस डिग्री नहीं है। उन्होंने राज्य सरकार के 15.07.2021 और 19.07.2021 के आदेशों को चुनौती दी थी, जिनमें बीएनवाईएस डिग्री धारकों को योग प्रशिक्षक के रूप में प्राथमिकता देने का निर्देश था।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता ने 2007 में योग में डिप्लोमा और 2019 में एम.एससी. योग डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने खेल विकास प्राधिकरण, तमिलनाडु में कार्य किया और वर्तमान में स्वतंत्र योग प्रशिक्षक के रूप में स्कूलों, कॉलेजों व एनजीओ के साथ कार्य कर रहे हैं।
उनका तर्क था कि आयुष मंत्रालय द्वारा आयुष्मान भारत योजना के तहत जारी दिशानिर्देशों में स्थानीय योग प्रशिक्षकों को प्रमाणपत्र/डिप्लोमा/डिग्री के आधार पर नियुक्त करने की बात कही गई है, परंतु राज्य सरकार द्वारा बीएनवाईएस डिग्री को अनिवार्य बनाना अनुचित व भेदभावपूर्ण है।
राज्य पक्ष की दलीलें
राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए जवाब में कहा गया कि योजना के क्रियान्वयन का अधिकार संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को है और उनका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।
राज्य का यह भी कहना था कि बीएनवाईएस डिग्री धारक केवल योग शिक्षण ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy) भी प्रदान कर सकते हैं, जो आयुष वेलनेस सेंटर्स के उद्देश्य के लिए आवश्यक है। योग में डिग्री या डिप्लोमा रखने वाले केवल सामान्य प्रशिक्षण दे सकते हैं, परंतु रोगियों के उपचार में उनकी भूमिका सीमित है।
राज्य सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के समन्वय पीठ द्वारा WP(MD) No.23444 of 2023 (J.B. Somukumar बनाम भारत सरकार) में दिनांक 06.02.2025 को पारित निर्णय पर भी भरोसा किया, जिसमें इसी तरह की प्राथमिकता को वैध ठहराया गया था।
न्यायालय की टिप्पणी व विश्लेषण
न्यायालय ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हों, परंतु 18.06.2021 को आयुष मंत्रालय द्वारा जारी दस्तावेज में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि योजना के क्रियान्वयन का अधिकार संबंधित राज्य सरकार को है।
न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा:
“जब योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति हेतु योग्यता तय करने का अधिकार राज्य सरकार के अधीन है, तब बीएनवाईएस डिग्री को आवश्यक योग्यता के रूप में निर्धारित करने वाले आदेशों को याचिकाकर्ता चुनौती नहीं दे सकते।”
न्यायालय ने यह भी माना कि बीएनवाईएस डिग्री धारक मेडिकल कॉलेज से पढ़े होते हैं, उन्होंने भारतीय चिकित्सा प्रणाली बोर्ड में पंजीकरण कराया होता है, और वे योग व प्राकृतिक चिकित्सा दोनों में दक्ष होते हैं।
समन्वय पीठ द्वारा पूर्व निर्णय में दिए गए इस उद्धरण को भी न्यायालय ने दोहराया:
“बीएनवाईएस डिग्री धारक केवल योग सिखाने तक सीमित नहीं होते, बल्कि रोगियों को प्राकृतिक चिकित्सा भी प्रदान कर सकते हैं। जबकि अन्य योग प्रमाणपत्र/डिप्लोमा धारकों की भूमिका केवल शिक्षण तक सीमित रहती है।”
निष्कर्ष और निर्णय
उपरोक्त विश्लेषण और तर्कों के आधार पर, न्यायालय ने निर्णय दिया:
“इस न्यायालय का मत है कि प्रतिवादी संख्यक 2 और 3 द्वारा बीएनवाईएस डिग्री धारकों को योग प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव उचित और वैध है।”
अतः याचिका खारिज कर दी गई और संबंधित रिट अंतरिम याचिकाएं भी समाप्त कर दी गईं। न्यायालय ने किसी प्रकार की लागत का आदेश नहीं दिया।