नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2025 — सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से यह अहम सवाल किया कि क्या भारत अब भी ‘गरीब देश’ की पहचान के साथ जी रहा है। यह टिप्पणी जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उस समय की जब भूषण ने 2011 से अब तक गरीबी बढ़ने से जुड़े आंकड़े अदालत के समक्ष रखे।
पीठ ने कहा:
“श्री भूषण, 2011… अब हम 2025 में हैं। क्या हम अब भी गरीब कहे जाने वाले टैग के साथ चल रहे हैं? क्या हम अब भी यह मान कर चल रहे हैं कि यह देश प्रगति नहीं कर पाया है? हमें जो बात परेशान कर रही है वह यह है कि 2011 में 70% लोग गरीब थे, और अब यह बढ़कर शायद 80% हो गए हैं?”
प्रशांत भूषण ने जवाब में कहा कि यह उनका व्यक्तिगत दावा नहीं है, बल्कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकारों ने भी सार्वजनिक रूप से कहा है कि देश में गरीबी बढ़ रही है।
यह चर्चा उस स्वतः संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान हुई जो सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के समय प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर स्वतः प्रारंभ की थी।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने प्रस्तुत किया कि शीर्ष अदालत के सभी निर्देशों का पालन किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रवासी श्रमिकों के लिए बनाई गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं लागू की गई हैं और अब भी चालू हैं।
हालांकि, भूषण ने तर्क दिया कि इन योजनाओं में कई खामियां अब भी बनी हुई हैं और जमीनी स्तर पर कई समस्याएं जस की तस हैं।
चूंकि अपराह्न सत्र में एक विशेष पीठ की सुनवाई निर्धारित थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए इसे स्थगित कर दिया। पीठ ने कहा कि अगली तारीख पर मामले की व्यापक रूप से सुनवाई की जाएगी।