दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा को पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति रविंदर दुजेजा ने उस आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें स्वामी के खिलाफ बग्गा ने आरोप लगाए हैं।
यह मामला तब सामने आया जब मजिस्ट्रेट अदालत ने स्वामी को समन जारी किया, जिसके खिलाफ उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कार्यवाही रद्द करने की मांग की। हाईकोर्ट ने इससे पहले 4 अप्रैल 2022 को ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
बुधवार को सुनवाई के दौरान स्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि बग्गा अब तक अपना जवाब दाखिल नहीं कर पाए हैं। इस पर बग्गा के वकील ने दलील दी कि पहले स्वामी को उनकी याचिका की स्वीकार्यता (maintainability) पर दलीलें देनी चाहिए, जैसा कि पहले कोर्ट ने निर्देशित किया था।

इस पर न्यायमूर्ति दुजेजा ने स्पष्ट किया कि बग्गा को न केवल अपना जवाब दाखिल करना चाहिए बल्कि उसमें याचिका की स्वीकार्यता पर भी अपना पक्ष रखना होगा।
यह विवाद वर्ष 2021 की उस घटना से जुड़ा है जब स्वामी ने एक ट्वीट के माध्यम से बग्गा पर भाजपा में शामिल होने से पहले ‘छोटे-मोटे अपराधों’ में शामिल होने का आरोप लगाया था, और दावा किया था कि उनके खिलाफ मंदिर मार्ग थाने द्वारा कई बार गिरफ्तारी की गई थी। स्वामी का पक्ष है कि उनके ट्वीट को ट्रायल कोर्ट ने गलत तरीके से समझा और उनके पास अपने दावे के समर्थन में सार्वजनिक प्रमाण हैं।
वहीं, बग्गा ने अदालत में बयान देते हुए इन आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि यह उनकी छवि खराब करने के उद्देश्य से लगाए गए थे। ट्रायल कोर्ट ने प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर स्वामी के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार मानते हुए मार्च 2022 में उन्हें समन जारी किया था।