दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 मई को सुनवाई तय की है जिसमें नेशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशंस ऑफ इंडिया द्वारा दायर अपीलों पर विचार किया जाएगा। इन अपीलों में उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें भोजन बिलों पर सेवा शुल्क की अनिवार्यता को खारिज कर दिया गया था।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने 4 जुलाई 2022 को दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें होटलों और रेस्टोरेंट्स को भोजन बिल में स्वचालित रूप से सेवा शुल्क जोड़ने से मना किया गया था। 28 मार्च को एकल न्यायाधीश ने इन दिशानिर्देशों को बरकरार रखते हुए कहा कि अनिवार्य सेवा शुल्क उपभोक्ताओं के आर्थिक और सामाजिक हितों के खिलाफ है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि अनिवार्य सेवा शुल्क और पहले से लागू गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) उपभोक्ताओं पर दोहरी मार है, जिससे उन पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ता है।

आगामी सुनवाई में चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ NRAI और फेडरेशन द्वारा पेश कानूनी दलीलों पर विचार करेगी। NRAI की ओर से पेश अधिवक्ता ललित भसीन ने तर्क दिया है कि यदि सेवा शुल्क मेनू और रेस्टोरेंट परिसर में स्पष्ट रूप से बताया गया है, तो उसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत अनुचित व्यापार प्रथा नहीं माना जाना चाहिए। अपील में यह भी सवाल उठाया गया है कि क्या CCPA के दिशा-निर्देश उसकी अधिकार-सीमा से बाहर हैं।