सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की प्रशंसा और अन्य विवादास्पद टिप्पणियों के लिए दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया है। ये FIR तमिलनाडु तौहीद जमात के दो सदस्यों — रहमतुल्ला और जमाल मोहम्मद — के खिलाफ दर्ज की गई थीं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने इन FIR को रद्द करने के बजाय कर्नाटक और तमिलनाडु में दर्ज मामलों को एकसाथ सुनवाई के लिए क्लब करने का आदेश दिया।
आरोपियों ने 17 मार्च 2022 को मदुरै में आयोजित एक रैली में कथित रूप से ऐसे भाषण दिए थे जिन्हें अदालत ने “अत्यंत आपत्तिजनक” करार दिया। उनके भाषणों में धार्मिक प्रथाओं और प्रमुख व्यक्तित्वों पर टिप्पणियां शामिल थीं, जिन्हें अदालत ने विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने और अपराध के लिए उकसाने वाला माना।
रैली के दौरान दोनों ने अफजल गुरु की प्रशंसा की और अयोध्या राम मंदिर के फैसले की आलोचना की, जिससे धार्मिक आधार पर विभाजन फैलने की आशंका जताई गई। इसके तुरंत बाद मदुरै, तंजावुर और बेंगलुरु में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गईं।

आरोपियों के वकील ने दलील दी कि एक ही आरोप को लेकर कई FIR दर्ज करना संविधान के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन है और यह दोहरे दंड (डबल जेपर्डी) के सिद्धांत के खिलाफ है। हालांकि, अदालत ने कहा कि अलग-अलग स्थानों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर FIR दर्ज की गई हैं, इसलिए उनकी स्वतंत्र वैधता बनी रहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि विभिन्न क्षेत्रों में चल रही मुकदमों से “गंभीर असमानता” और परस्पर विरोधाभासी निर्णयों की संभावना है। इसलिए न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए आदेश दिया कि बेंगलुरु और तंजावुर में दर्ज FIR को मदुरै स्थानांतरित किया जाए, जहां तीनों मामलों की एकसाथ सुनवाई की जाएगी।
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