बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन के खिलाफ आपराधिक मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर दिया है। अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह ट्रायल कोर्ट में उचित कानूनी उपाय अपनाए, क्योंकि सीबीआई ने 2023 में मामले को बंद कर दिया था।
यह याचिका विजय भास्करराव पाटिल द्वारा दायर की गई थी, जो जलगांव जिला मराठा विद्या प्रसारक सहकारी समाज नामक शैक्षणिक संस्था के निदेशक हैं। मामला 2020 की एक एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें महाजन और अन्य 28 व्यक्तियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) की विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर चोट पहुंचाने, अपहरण, जबरन वसूली, चोरी और आपराधिक अतिक्रमण जैसे आरोप लगाए गए थे। पाटिल ने आरोप लगाया था कि महाजन ने उन्हें उनकी शैक्षणिक संस्था बेचने के लिए मजबूर किया था, जिसके चलते पहले निमभोरा पुलिस स्टेशन, जलगांव में एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसे बाद में पुणे के कोथरुड पुलिस स्टेशन स्थानांतरित कर दिया गया।
22 जुलाई 2022 को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के तहत महाराष्ट्र गृह विभाग ने महाजन के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। हालांकि, सीबीआई ने 23 दिसंबर 2023 को जांच बंद कर दी, यह कहते हुए कि आरोपों में कोई दम नहीं है।

राज्य सरकार के जांच स्थानांतरण के फैसले को चुनौती देते हुए पाटिल ने तर्क दिया कि यह अवैध, मनमाना और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है। उन्होंने हाईकोर्ट से कोथरुड पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर रोक लगाने और स्थानांतरण आदेश को रद्द करने का आग्रह किया था।
सीबीआई की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक कौंडे देशमुख और राज्य सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक अमित मुंडे ने तर्क दिया कि सीबीआई द्वारा जांच समाप्त किए जाने के बाद पाटिल की याचिका अब अर्थहीन हो गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि पाटिल पुणे कोर्ट में एक विरोध याचिका (प्रोटेस्ट पिटीशन) दायर कर सकते हैं।