बच्चे के हित को क्षेत्राधिकार से ऊपर रखा जाना चाहिए: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल को एक महत्वपूर्ण निर्णय में नासिक से चंद्रपुर स्थानांतरित करने की मांग वाली बाल संरक्षकता याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि बच्चे का कल्याण सर्वोपरि है और क्षेत्राधिकार से जुड़ी तकनीकी दलीलों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह निर्णय बच्चे की भावनात्मक स्थिरता और भलाई को सुनिश्चित करने के प्रति अदालत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

यह विवाद एक 8 वर्षीय बच्ची से संबंधित है, जिसकी मां का 16 अगस्त 2023 को एक दुर्घटना में निधन हो गया था। मां की मृत्यु के बाद, बच्ची की मौसी सोनाली त्रुशांत वालदे ने नासिक में संरक्षकता याचिका दायर की थी। वहीं, बच्ची के पिता धनंजय पुंडलिक चौधरी ने मामले को चंद्रपुर स्थानांतरित करने की मांग की थी, यह तर्क देते हुए कि चंद्रपुर ही बच्ची का अंतिम ज्ञात निवास स्थान था और वहां का पारिवारिक न्यायालय इस मामले पर अधिकार क्षेत्र रखता है।

READ ALSO  Mehrauli Murder Case: Court Hears Arguments on Charges Against Aaftab Poonawala

मामले में केवल बच्चे की वर्तमान स्थिति की त्रासदी ही नहीं बल्कि उसकी मां के निधन से पहले माता-पिता के बीच चल रहे वैवाहिक विवाद का भी उल्लेख आया, जिसके चलते बच्ची की मां को नासिक स्थित अपने मायके में रहना पड़ा था। वालदे की ओर से अधिवक्ता अभिजीत कंदरकर ने दलील दी कि बच्ची नासिक में स्थिर वातावरण में रह रही थी और उसका नासिक से गहरा जुड़ाव था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बच्ची का नासिक में रहना किसी भी तरह से गुप्त रूप से नहीं किया गया था, बल्कि उसकी भलाई के लिए यह आवश्यक कदम था।

Video thumbnail

वहीं, पिता की ओर से अधिवक्ता दक्षा पुंहेरा ने जोर दिया कि चंद्रपुर ही उचित क्षेत्राधिकार था, जहां बच्ची पहले रहती थी और स्कूल में भी दाखिल थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वालदे द्वारा नासिक में दायर की गई याचिका चुपके से बच्ची की संरक्षकता हासिल करने का प्रयास थी।

READ ALSO  धारा 127 सीआरपीसी | रखरखाव का आदेश रद्द करने का पूर्वव्यापी रूप से प्रभाव नहीं हो सकता: केरल हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति एन. जे. जमादार ने मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि यदि मुकदमा चंद्रपुर स्थानांतरित किया जाता है तो इससे बच्ची को अनावश्यक मानसिक आघात और असुविधा हो सकती है। अदालत ने बच्ची के वर्तमान निवास स्थान, उसके नासिक में रहने के कारणों और उसके समग्र कल्याण जैसे कई पहलुओं पर विचार करते हुए फैसला सुनाया कि मामला नासिक में ही चलाया जाएगा।

READ ALSO  जस्टिस जोयमाल्या बागची ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली, 2031 में बनेंगे CJI
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles