सुप्रीम कोर्ट ने कन्नगी-मुरुगेशन ऑनर किलिंग मामले में दोषसिद्धि को बरकरार रखा, पीड़ित परिवार को ₹5 लाख मुआवजा देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के बहुचर्चित कन्नगी-मुरुगेशन ऑनर किलिंग मामले में दोषियों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया, जिससे इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट के 2022 के निर्णय को बरकरार रखा गया।

जस्टिस सुधांशु धूलिया के नेतृत्व वाली पीठ ने नौ दोषियों की उम्रकैद की सजा को कायम रखा, वहीं एक दोषी की मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में परिवर्तित करने के हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि की। कोर्ट ने उन दो आरोपियों के बरी होने को भी बरकरार रखा जिन्हें हाईकोर्ट ने सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था।

इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार को ₹5 लाख का मुआवजा देने का निर्देश दिया। अदालत में पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता राहुल श्याम भंडारी ने किया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला कन्नगी और मुरुगेशन नामक एक युवा दंपति की हत्या से संबंधित है, जिन्होंने जातीय बंधनों को तोड़ते हुए विवाह किया था। कन्नगी वन्नियार समुदाय (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) से थीं, जबकि मुरुगेशन अनुसूचित जाति से संबंध रखते थे। दोनों की मुलाकात चिदंबरम के अन्नामलाई विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान हुई थी।

सामाजिक विरोध के बावजूद, दोनों ने 5 मई 2003 को कडलूर में गुप्त रूप से विवाह पंजीकृत कराया। जब कन्नगी के परिवार को इस विवाह की जानकारी हुई, तो उन्होंने गुस्से में प्रतिक्रिया दी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 8 जुलाई 2003 को दंपति को पुथुकोराइपट्टई गांव के श्मशान घाट पर जबरन विषाक्त पदार्थ पिलाया गया और बाद में उनके शवों को जलाकर आत्महत्या का नाटक रचने का प्रयास किया गया।

शुरुआत में स्थानीय पुलिस द्वारा की गई जांच में गंभीर खामियां रहीं। इसके चलते मुरुगेशन के पिता के आग्रह पर जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई, जिसने 2009 में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की।

READ ALSO  क्या संज्ञान आदेश में अनियमितता से आपराधिक कार्यवाही प्रभावित होगी? जानिए सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

ट्रायल और दोषसिद्धि

कडलूर में स्थित एक विशेष अदालत में चले मुकदमे में 13 व्यक्तियों को अपराध में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था। कन्नगी के भाई को मृत्युदंड तथा अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

हालांकि, अपील पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने 2022 में निचली अदालत के फैसले में संशोधन करते हुए कन्नगी के भाई की मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदल दिया और दो आरोपियों को बरी कर दिया।

READ ALSO  Supreme Court Disposes of Plea Challenging Grant of Grace Marks to 1563 Candidates by NTA
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles