आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के आदेश 21 नियम 34 के तहत निष्पादन याचिका (Execution Petition) के साथ ड्राफ्ट सेल डीड दाखिल करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह केवल निर्देशात्मक (directory) प्रकृति का है। यह फैसला न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी और न्यायमूर्ति चला गुना रंजन की खंडपीठ ने सिविल मिक्स्ड अपील संख्या 61 ऑफ 2025 में दिया, जो लोक अदालत द्वारा पारित कई पुरस्कारों से संबंधित निष्पादन कार्यवाही से उत्पन्न हुआ था।
पृष्ठभूमि
यह अपील अपीलकर्ता और निर्णय ऋणी संख्या-1 टी.के. नारायण मूर्ति द्वारा दायर की गई थी, जो कि नल्लूर के तृतीय अपर जिला न्यायाधीश द्वारा दिनांक 08.08.2024 को पारित आदेश को चुनौती दे रहे थे। यह आदेश ई.पी. संख्या 226 ऑफ 2023 में पारित हुआ था, जिसमें वादकारियों के पक्ष में दिनांक 16.11.2021 को पारित लोक अदालत के पुरस्कारों के निष्पादन की मांग की गई थी।
संबंधित वाद:

- ओ.एस. संख्याएं: 166, 172, 173, 174, 175 / 2017
- पी.एल.सी. संख्या: 174 / 2021
डिक्री धारकों ने आदेश 21 नियम 34 सीपीसी के तहत 150 अंकनम भूमि की रजिस्टर्ड बिक्री विलेख (sale deed) के निष्पादन के लिए याचिका दायर की थी, किंतु निर्णय ऋणियों द्वारा बार-बार अनुरोध के बावजूद अनुपालन नहीं किया गया।
अपीलकर्ता के तर्क
अपीलकर्ता ने दलील दी कि आदेश 21 नियम 34(1) सीपीसी के अनुसार, डिक्री धारक को निष्पादन याचिका के साथ ड्राफ्ट सेल डीड अनिवार्य रूप से दाखिल करनी चाहिए और विरोध दर्ज करने का अवसर देना चाहिए। ऐसा न होने पर निष्पादन न्यायालय को अधिकार क्षेत्र नहीं मिलेगा। अपीलकर्ता ने P. Venkanna Chetti v. B. Apparao Naidu [AIR 1959 AP 666] तथा Brajendra Singh Yambem v. Union of India [(2016) 9 SCC 20] के फैसलों का हवाला दिया।
प्रतिवादियों की दलील
प्रतिवादी पक्ष के वकील ने कहा कि याचिका के साथ प्रारंभिक चरण में ड्राफ्ट सेल डीड दाखिल करना अनिवार्य नहीं है। यह भी बताया गया कि अपीलकर्ता ने दिनांक 10.02.2025 को बिक्री विलेख के निष्पादन के लिए सहमति दी थी, लेकिन बाद की तारीखों में अनुपस्थित रहे। इसके चलते, निष्पादन न्यायालय ने स्वयं दिनांक 14.02.2025 को ₹1.26 करोड़ मूल्य की बिक्री विलेख निष्पादित की और उसे उप-पंजीयक, नल्लूर के समक्ष रजिस्टर्ड भी किया गया। साथ ही आयकर और स्टांप शुल्क का भुगतान भी किया गया। प्रतिवादियों ने यह भी आरोप लगाया कि अपीलकर्ता ने इन तथ्यों को अपील में छुपाया।
न्यायालय का विश्लेषण
हाईकोर्ट ने आदेश 21 नियम 34 की समीक्षा करते हुए कहा:
“नियम 34(1) में प्रयुक्त ‘may’ शब्द को उसके सामान्य अर्थ में निर्देशात्मक (directory) और अनिवार्य (mandatory) नहीं माना जाएगा।”
खंडपीठ ने Hameed Joharan v. Abdul Salam [(2001) 7 SCC 573], State (Delhi Admn) v. I.K. Nangia [(1980) 1 SCC 258] तथा Bachahan Devi v. Nagar Nigam, Gorakhpur [(2008) 12 SCC 372] जैसे निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि “may” शब्द विधायी विवेक को दर्शाता है न कि बाध्यकारी आदेश को।
न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि अपीलकर्ता को 08.08.2024 के आदेश के बाद दाखिल ड्राफ्ट सेल डीड पर आपत्ति दर्ज करने का अवसर दिया गया था, अतः प्रक्रिया में निष्पक्षता बनी रही। P. Venkanna Chetti मामले के तथ्यों से इस मामले को अलग बताते हुए न्यायालय ने माना कि आपत्तियों की प्रक्रिया पूरी की गई थी।
निर्णय
अपील को खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा:
“आदेश 21 नियम 34 सीपीसी के तहत निष्पादन याचिका के साथ ड्राफ्ट दस्तावेज़ अर्थात् बिक्री विलेख दाखिल करना केवल निर्देशात्मक है, अनिवार्य नहीं।”
न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि निष्पादन न्यायालय द्वारा कोई गैरकानूनी कार्य नहीं हुआ और 08.08.2024 का आदेश विधिसम्मत है।
प्रमाण: टी.के. नारायण मूर्ति बनाम हरिगोपाल एवं अन्य, सिविल मिक्स्ड अपील संख्या 61 / 2025, निर्णय दिनांक 10 अप्रैल 2025