सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा: क्या वायुसेना नियमों के तहत सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन मिल सकती है?

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायुसेना (IAF) के नियमों के तहत सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन देने की पात्रता पर विचार करने का निर्णय लिया है। यह मामला जयश्री नामक महिला से जुड़ा है, जिन्होंने अपने सौतेले बेटे हर्ष को छह वर्ष की उम्र से पाल-पोस कर बड़ा किया, लेकिन वायुसेना ने उन्हें पारिवारिक पेंशन देने से इनकार कर दिया।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनवाई के दौरान वायुसेना के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि “मां” शब्द का अर्थ व्यापक है। जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की, “मां एक बहुत व्यापक शब्द है। यदि एक बच्चा पैदा होते ही अपनी जैविक मां को खो देता है और सौतेली मां उसे पालती-पोसती है, तो क्या वह उसकी मां नहीं हुई?”

वायुसेना के वकील ने पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि केवल जैविक मां को ही पारिवारिक पेंशन का अधिकार प्राप्त है। हालांकि, पीठ ने इस दलील पर असहमति जताई और कहा कि ये नियम संविधान द्वारा निर्धारित नहीं हैं, बल्कि वायुसेना द्वारा बनाए गए हैं, जिन्हें समय और सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप बदला जा सकता है।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “ये नियम आपने ही तय किए हैं। इन्हें बदला भी जा सकता है।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में मानवीय पहलू और परिवार की वास्तविक संरचना को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों की ओर से उचित तैयारी नहीं की गई थी। कोर्ट ने वकीलों को निर्देश दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उन निर्णयों का अध्ययन करें, जिनमें सौतेली मां को पेंशन के अधिकार दिए जाने पर चर्चा की गई है।

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य और लोक व्यवस्था संबंधी बीएनएस प्रावधानों को हटाने की याचिका खारिज की

गौरतलब है कि यह मामला 10 दिसंबर 2021 को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) के उस फैसले को चुनौती देने से जुड़ा है, जिसमें जयश्री की पारिवारिक पेंशन की याचिका खारिज कर दी गई थी। उनके सौतेले बेटे की वायुसेना सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त के लिए निर्धारित की है।

READ ALSO  तेलंगाना के विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles