इस शनिवार, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) और गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (GSLSA) मिलकर गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया नगर में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। यह पश्चिमी क्षेत्रीय सम्मेलन नालसा की न्याय के प्रति तीन दशकों की प्रतिबद्धता का उत्सव मनाएगा और एक समावेशी न्याय प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कई अहम पहलों की शुरुआत करेगा।
कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत भाग लेंगे। यह सम्मेलन नालसा की वर्षों पुरानी इस दृष्टि को और सशक्त करेगा कि न्याय सभी के लिए सुलभ हो।
सम्मेलन में ‘नालसा (जागृति)’ योजना की शुरुआत की जाएगी—जिसका पूरा नाम है Justice Awareness for Grassroots Rural Information and Transparency Initiative। यह योजना ग्रामीण स्तर पर विधिक जागरूकता बढ़ाने, जरूरी जानकारी और सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है।

इसके अलावा, मादक पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने और नशा-मुक्त भारत की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए ‘DAWN’—Drug Awareness and Wellness Navigation योजना की शुरुआत की जाएगी। साथ ही, हाशिए पर रह रहे आदिवासी, विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों को न्याय तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ‘SAMVAD’—Strengthening Access to Justice for Marginalised, Vulnerable Adivasis and Denotified/Nomadic Tribes योजना भी लॉन्च की जाएगी।
कार्यक्रम में तीन भागों वाली एक डॉक्यूमेंट्री श्रृंखला का प्रीमियर भी होगा, जो नालसा की स्थापना से लेकर वर्तमान भूमिका तक की यात्रा को दर्शाएगी। यह श्रृंखला नालसा की चल रही पहलों और दीर्घकालिक लक्ष्यों को उजागर करेगी।
सम्मेलन में ‘Speak Up’ नामक एक पुस्तिका का भी विमोचन होगा, जो यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH) पर आधारित है। यह पुस्तिका कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम और प्रबंधन को लेकर जागरूकता फैलाने और हितधारकों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है।