कलकत्ता हाईकोर्ट में बुधवार को एक अहम कानूनी बहस देखने को मिली, जब पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग ने राज्य में 26,000 स्कूल पदों को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में दायर अवमानना याचिका की वैधता पर सवाल उठाए। यह विवाद नौकरियों की बहाली को लेकर उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद खड़ा हुआ है, जिसने हाईकोर्ट के आदेश को कुछ संशोधनों के साथ बरकरार रखा था।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि शिक्षा विभाग ने उन शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मियों की OMR शीट्स को सार्वजनिक नहीं किया जिनकी नौकरियां प्रभावित हुई थीं, जो कि अदालत के आदेश का उल्लंघन है।
न्यायमूर्ति देबांग्सु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर राशिदी की पीठ के समक्ष शिक्षा विभाग के वकील ने तर्क दिया कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में कुछ संशोधन किए हैं, इसलिए अवमानना की कार्यवाही केवल शीर्ष अदालत में ही चल सकती है। इस दलील का समर्थन पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) के वकील ने भी किया।

वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के संशोधन मौलिक नहीं हैं और हाईकोर्ट का मूल आदेश जस का तस बना हुआ है, इसलिए अवमानना याचिका हाईकोर्ट में ही विचारणीय है।
विवाद की जड़ OMR शीट्स की सार्वजनिक अपलोडिंग को लेकर है, जो अदालत के आदेशानुसार तुरंत ऑनलाइन प्रकाशित की जानी थीं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह डेटा तीन हार्ड डिस्क में रखा गया है लेकिन अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिससे आदेश के अनुपालन में पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो गए हैं।