सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा (मुख्य) को स्थगित करने से इनकार कर दिया और प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक होने के आरोपों के आधार पर परीक्षा प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई थी।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जो पूरी परीक्षा प्रक्रिया को रद्द करने की मांग कर रही थीं। इन याचिकाओं में ‘आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट’ द्वारा दाखिल याचिका भी शामिल थी, जिसमें अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए परीक्षा की जांच के लिए एक विशेष बोर्ड के गठन की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश और कॉलिन गोंसाल्विस ने दावा किया कि प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले ही व्हाट्सएप पर लीक हो गया था और कुछ केंद्रों पर लाउडस्पीकर के जरिए उत्तर बताए जाने के वीडियो भी उपलब्ध हैं। हालांकि, पीठ ने इन डिजिटल साक्ष्यों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया और कहा कि ये आरोप मुख्य रूप से एक ही केंद्र – बापू परीक्षा परिसर – से संबंधित हैं, जहां पहले ही लगभग 10,000 उम्मीदवारों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित की जा चुकी है।
जस्टिस मनमोहन ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ताओं के ही अनुसार, कथित लीक उस समय हुआ जब उम्मीदवार पहले ही परीक्षा केंद्रों में प्रवेश कर चुके थे। उन्होंने कहा, “अगर इन दावों को सतही रूप से भी स्वीकार कर लिया जाए, तो भी ये किसी व्यापक प्रणालीगत विफलता की ओर इशारा नहीं करते।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “हर कोई एक-दूसरे की असुरक्षा से खेल रहा है” और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई भी प्रतियोगी परीक्षा विवादों के बिना संपन्न नहीं हो पा रही है।
सुनवाई के दौरान यह मुद्दा भी उठा कि 24 प्रश्न कोचिंग सेंटरों द्वारा दी गई प्रश्न पुस्तिकाओं से मेल खाते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता गोंसाल्विस ने इसे लीक का संकेत बताया, लेकिन जस्टिस मनमोहन ने जवाब दिया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसे मेल आम होते हैं। उन्होंने मजाक में कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘कैंपस लॉ सेंटर’ में “डुग्गियाँ” (गाइड) खूब चलती थीं और काफी सटीक भी होती थीं।
बिहार सरकार और बीपीएससी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आयोग की कार्यप्रणाली का बचाव किया। उन्होंने बताया कि चार सेट प्रश्नपत्र तैयार किए गए थे, जिनमें प्रश्नों का क्रम अलग-अलग था, जिससे नकल की संभावना को रोका जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि 150 में से केवल दो प्रश्न ही मॉक पेपर से हूबहू मेल खाते थे।
इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने मार्च में इन याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कहा था कि “सभी केंद्रों पर कदाचार का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।” हाई कोर्ट ने बीपीएससी को मुख्य परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी थी, जो 25 अप्रैल को प्रस्तावित है। सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान विशेष अनुमति याचिका (SLP) हाई कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी।
जस्टिस मनमोहन ने यह भी चेतावनी दी कि सीमित आरोपों के आधार पर पूरी परीक्षा को रद्द करना एक खतरनाक उदाहरण बन सकता है। उन्होंने कहा, “कृपया समझिए, परीक्षक का स्तर इतना ऊँचा नहीं है,” और यह भी जोड़ा कि इस तरह का लगातार संदेह प्रतियोगी परीक्षाओं की पवित्रता और अंतिमता को बाधित कर रहा है।
बिहार में 900 केंद्रों पर आयोजित की गई बीपीएससी की यह परीक्षा करीब 5 लाख उम्मीदवारों के लिए आयोजित की गई थी और राज्य की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षाओं में से एक है। बापू परीक्षा परिसर के अभ्यर्थियों के लिए पुनः परीक्षा कराए जाने के निर्णय ने विरोध को जन्म दिया था, और कुछ लोगों ने पूरी परीक्षा को रद्द कर दोबारा आयोजित करने की मांग की थी।
हालांकि, आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिकाएं खारिज किए जाने के बाद अब इस सप्ताह निर्धारित मुख्य परीक्षा के आयोजन का रास्ता साफ हो गया है।