गिरफ्तारी प्रक्रिया में संतुलन की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, कहा – न दुरुपयोग हो, न ही आरोपियों को अनुचित छूट मिले

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गिरफ्तारी की प्रक्रियाओं को लेकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि राज्य तंत्र द्वारा शक्ति का दुरुपयोग रोका जा सके और साथ ही आरोपी पक्ष कोर्ट की टिप्पणियों का अनुचित लाभ उठाकर कानून से बच न निकलें।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ इस सवाल पर विचार कर रही थी कि क्या हर मामले में – चाहे वह पुरानी भारतीय दंड संहिता के तहत ही क्यों न हो – गिरफ्तारी से पहले या तुरंत बाद आरोपी को गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी देना अनिवार्य होना चाहिए।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “हम संतुलन बनाना चाहते हैं – एक ओर हम नहीं चाहते कि राज्य मशीनरी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करे और दूसरी ओर आरोपी हमारी टिप्पणियों का अनुचित लाभ उठाकर छूट न पाए।”

Video thumbnail

पीठ ने यह भी संकेत दिया कि कुछ विशेष परिस्थितियों में जब तत्काल गिरफ्तारी आवश्यक हो, तब क्या गिरफ्तारी के कारण तुरंत देना व्यावहारिक नहीं होगा, इस पर विचार किया जाएगा। कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

READ ALSO  सरकारी गल्ले की दुकान के आरक्षण का शासनादेश संवैधानिक: इलाहाबाद हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी देना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत एक मौलिक अधिकार है। फरवरी में कोर्ट ने यह टिप्पणी न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को अवैध घोषित करते हुए दी थी, क्योंकि उनकी गिरफ्तारी में यह आवश्यक प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी।

सुनवाई के दौरान यह भी चर्चा हुई कि क्या मौके पर रंगे हाथों की गई गिरफ्तारी और अदालत की टिप्पणियों का दुरुपयोग कर आरोपी बेल ले लें, जैसी परिस्थितियों को कैसे संतुलित किया जाए।

READ ALSO  उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947 की धारा 12-सी के तहत कार्यवाही में चुनाव याचिकाकर्ता को चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने वाले तथ्यों का आधार और संक्षिप्त सारांश बताना होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

ये बहस बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन अलग-अलग मामलों से जुड़ी याचिकाओं के संदर्भ में सामने आई। इनमें एक प्रमुख मामला जुलाई 2024 के मुम्बई बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन केस से जुड़ा है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी। आरोपी ने हाईकोर्ट के नवंबर 2024 के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उसकी गिरफ्तारी को सही ठहराया गया, हालांकि गिरफ्तारी के कारण नहीं बताए गए थे।

दूसरी याचिका पुणे में मई 2024 में एक किशोर बेटे द्वारा चलाई गई पोर्श कार की दुर्घटना से जुड़ी है, जिसमें सबूत से छेड़छाड़ के आरोप में एक महिला पर मामला दर्ज हुआ। इस केस में हाईकोर्ट ने ऐसी कई याचिकाओं को एक बड़ी पीठ के पास भेजने का आदेश दिया था, जिसे महिला ने चुनौती दी है।

READ ALSO  आईपीएस अधिकारी का कैडर स्थानांतरण: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी

सुप्रीम कोर्ट के इस विचार-विमर्श से स्पष्ट है कि कोर्ट गिरफ्तारी की प्रक्रिया को संविधान-सम्मत और संतुलित बनाने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रहा है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles