सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्टैंड-अप कॉमेडियन और यूट्यूब शो होस्ट समय रैना के खिलाफ एक याचिका पर विचार करने की सहमति दी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दृष्टिहीन व्यक्ति और स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) से पीड़ित लोगों सहित विकलांग व्यक्तियों का मज़ाक उड़ाया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह टिप्पणी Cure SMA Foundation of India नामक एनजीओ द्वारा दायर एक इंटरवेंशन एप्लिकेशन पर सुनवाई के दौरान की। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस विषय पर एक विधिवत रिट याचिका दाखिल करें। कोर्ट ने कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है। आप रिट याचिका दाखिल करें, हम देखेंगे क्या किया जा सकता है। रिट क्षेत्राधिकार में हमारे पास व्यापक दायरा होता है।”
यह मुद्दा उस ongoing मामले की सुनवाई के दौरान सामने आया जिसमें पॉडकास्टर और इन्फ्लुएंसर रणवीर अल्लाहबादिया भी शामिल हैं, जो समय रैना के शो India’s Got Latent में शामिल हुए थे। कोर्ट ने noting करते हुए कि अल्लाहबादिया के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है, उनके पासपोर्ट की वापसी को लेकर याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 28 अप्रैल तय की।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को अल्लाहबादिया को महाराष्ट्र और असम में उनके खिलाफ दर्ज कई FIRs में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी और उन्हें ठाणे के नोडल साइबर पुलिस स्टेशन में जांच अधिकारी को पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था।
सोमवार की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि मुंबई में दर्ज FIR की जांच पूरी हो गई है और चार्जशीट जल्द ही दाखिल की जाएगी, जबकि गुवाहाटी की FIR में सिर्फ एक सह-आरोपी का बयान दर्ज होना बाकी है। असम पुलिस की ओर से पेश वकील ने बताया कि अपूर्वा मखीजा को छोड़कर सभी आरोपी पेश हो चुके हैं और अपने बयान दे चुके हैं। मखीजा को दो बार नोटिस देने के बाद भी पेश न होने पर अब मंगलवार को पेश होने का आखिरी मौका दिया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ ने अल्लाहबादिया की ओर से पेश होकर कहा कि उनके मुवक्किल का सह-आरोपियों से कोई संबंध नहीं है, सिवाय इसके कि उन्होंने उस शो में भाग लिया था। उन्होंने यह भी बताया कि अल्लाहबादिया ने जांच में पूरा सहयोग किया है।
इस बीच Cure SMA Foundation of India ने तर्क दिया कि विकलांग व्यक्तियों के बारे में अपमानजनक और हेय टिप्पणियों को रोकने के लिए ऑनलाइन कंटेंट पर व्यापक दिशानिर्देशों की तत्काल आवश्यकता है। एनजीओ ने स्पष्ट किया कि वह कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं चाहता, बल्कि केवल अपमानजनक और विकृत चित्रणों पर नियंत्रण चाहता है।
याचिका में कहा गया है:
“ऐसे अपमानजनक, हेय, विकलांग-विरोधी और मानहानिकारी कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट और पर्याप्त दिशा-निर्देशों और नियामकीय उपायों की तत्काल आवश्यकता है, चाहे वह ऑनलाइन सामग्री के प्रकाशक हों, या स्वयंभू इन्फ्लुएंसर और कंटेंट क्रिएटर।”
एनजीओ ने विशेष रूप से समय रैना के होस्ट के रूप में व्यवहार का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की असंवेदनशील टिप्पणियाँ न केवल गंभीर बीमारियों को तुच्छ बनाती हैं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं और उपचार की स्वीकार्यता को घटाती हैं।
कोर्ट पहले ही अल्लाहबादिया की टिप्पणियों पर तीखी टिप्पणी कर चुका है, जिन्हें “अश्लील” बताते हुए उनकी सोच को “गंदी मानसिकता” कहा गया था, जो “समाज के लिए शर्मनाक” है। 1 अप्रैल को अल्लाहबादिया ने कोर्ट में एक अंडरटेकिंग दी थी कि वे अपने कंटेंट में शालीनता बनाए रखेंगे, जिसके बाद कोर्ट ने उनके शो The Ranveer Show को फिर से शुरू करने की अनुमति दी, बशर्ते वह “नैतिकता और मर्यादा” के मानकों का पालन करे।
पीठ ने इस मामले में ऑनलाइन कंटेंट के व्यापक नियमन की आवश्यकता पर भी जोर दिया और केंद्र सरकार को डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए एक ऐसा नियामक ढांचा तैयार करने को कहा जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जवाबदेही के बीच संतुलन स्थापित करे। कोर्ट ने कहा कि किसी भी नियमन को लागू करने से पहले जन-सहभागिता के लिए परामर्श आवश्यक है।
गौरतलब है कि असम की FIR में रैना और अल्लाहबादिया के अलावा कॉमेडियन आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह और अपूर्वा मखीजा को भी नामजद किया गया है।