प्राइवेसी के अधिकार की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने गूगल, फेसबुक और X (पूर्व में ट्विटर) को निर्देश दिया है कि वे एक महिला का रिवर राफ्टिंग करते हुए वीडियो, जो कथित रूप से बिना उसकी सहमति के अपलोड किया गया था और जिसे लेकर उसे ऑनलाइन ट्रोलिंग व उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, तुरंत हटाएं और आगे इसके प्रसार को भी रोकें।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, राफ्टिंग इंस्ट्रक्टर और संबंधित ट्रैवल एजेंसी को नोटिस जारी किए और उनसे जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को तय की गई है।
अदालत ने आदेश में कहा:
“अंतरिम रूप से, उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, प्रतिवादी संख्या 2 से 5 (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स) को निर्देश दिया जाता है कि वे उन सभी यूआरएल को हटा दें जिन पर संबंधित वीडियो प्रकाशित या प्रसारित किया जा रहा है। इन यूआरएल का विवरण पक्षकारों के मेमो में दिया गया है।”
इसके साथ ही, कोर्ट ने निर्देश दिया कि भविष्य में इस वीडियो के पुनः प्रकाशन को रोकने के लिए भी उचित कदम उठाए जाएं।

याचिका के अनुसार, महिला मार्च 2025 में ऋषिकेश छुट्टियों पर गई थी और एक ट्रैवल एजेंसी के माध्यम से रिवर राफ्टिंग की बुकिंग की थी। राफ्टिंग इंस्ट्रक्टर के सुझाव पर उसने GoPro कैमरे से अपनी राफ्टिंग का वीडियो रिकॉर्ड कराया, जो केवल निजी उपयोग के लिए था। लेकिन बाद में उसे पता चला कि उसका वीडियो—जिसमें वह घबराई हुई और परेशान दिख रही थी—बिना अनुमति के इंटरनेट पर अपलोड कर दिया गया।
महिला ने आरोप लगाया कि वीडियो ने उसे नकारात्मक तरीके से पेश किया और इसके कारण “साइबर गाली-गलौज, साइबर बुलिंग, धमकी, नफरत, ट्रोलिंग और उत्पीड़न” का सिलसिला शुरू हो गया। इससे उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मानसिक शांति, सुरक्षा और गरिमा को गंभीर क्षति पहुंची।
याचिका में यह भी कहा गया कि राफ्टिंग इंस्ट्रक्टर और ट्रैवल एजेंसी ने वीडियो को तीसरे पक्ष को देकर उसकी गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन किया। उसने अदालत से आग्रह किया कि वीडियो को सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से हटाया जाए और उसके आगे प्रसार पर रोक लगाई जाए ताकि उसकी मानसिक और सामाजिक स्थिति सुरक्षित रह सके।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि वह इस संबंध में प्रासंगिक नियमों के तहत उचित कार्रवाई करे।