सेवा विस्तार केवल अपवादस्वरूप और जनहित में ही हो: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का सख्त फैसला

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि सेवा विस्तार या पुनर्नियुक्ति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही की जानी चाहिए और वह भी तब, जब यह पूरी तरह जनहित में हो। यह फैसला पशुपालन विभाग के निदेशक की 2 जनवरी 2025 को हुई पुनर्नियुक्ति को रद्द करते हुए दिया गया।

यह मामला न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरजा की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुआ था। यह याचिकाएं विशाल शर्मा और संजीव धीमान द्वारा दायर की गई थीं, जिन्होंने प्रदीप कुमार शर्मा की निदेशक पद पर पुनर्नियुक्ति को चुनौती दी थी, यह कहते हुए कि यह निर्णय अनुचित तरीके से लिया गया।

READ ALSO  नागपुर हवाईअड्डे के लिए जीएमआर को दिए गए अवार्ड को रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा

अपने निर्णय में अदालत ने स्पष्ट किया कि सेवा विस्तार या पुनर्नियुक्ति केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों की सिफारिश के आधार पर नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा, “केवल इसलिए कि सिफारिश किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि से आई है, यह सेवा विस्तार या पुनर्नियुक्ति को औचित्य नहीं प्रदान करती।” न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसा कोई भी निर्णय केवल विभाग की आवश्यकता और जनहित को ध्यान में रखते हुए ही लिया जाना चाहिए।

Video thumbnail

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक नई विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करे कि संबंधित पद पर कोई भी निर्णय तय मानदंडों के अनुसार ही हो। राज्य सरकार को यह स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड में दर्शाना होगा कि पुनर्नियुक्ति हेतु कोई असाधारण परिस्थिति है और यह निर्णय पूरी तरह से जनहित में है।

READ ALSO  FASTag खाते से कटे 10 रुपये ज़्यादा, कोर्ट ने NHAI से दिलवाया 8,000 रुपये का मुआवजा
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles