इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने रायबरेली सेंट्रल बार एसोसिएशन के लिए नए चुनाव कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने चुनाव से जुड़ी याचिकाओं और प्रक्रिया संबंधी अनियमितताओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
मामला क्या था?
इस कानूनी विवाद की शुरुआत रिट याचिका संख्या 10135/2023 से हुई, जो सेंट्रल बार एसोसिएशन, रायबरेली की एल्डर्स कमेटी द्वारा इसके चेयरमैन के माध्यम से दाखिल की गई थी। इसके अलावा दो और संबंधित याचिकाएं दाखिल हुईं:
- रिट C संख्या 11092/2023 – वही याचिकाकर्ता, चुनाव प्रक्रिया को लेकर आपत्ति।
- रिट C संख्या 964/2025 – आनंद कुमार दीक्षित और एक अन्य द्वारा दाखिल, समान चिंताओं के साथ।
मुख्य शिकायत उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के खिलाफ थी, जिस पर चुनाव में पारदर्शिता और उपविधियों का पालन न करने का आरोप था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता पंकज कुमार, ऋषभ त्रिपाठी और अमित त्रिपाठी ने पक्ष रखा, जबकि बार काउंसिल ऑफ यूपी की ओर से सुभाष चंद्र पांडेय, नीरज पांडेय, आनंद मणि त्रिपाठी, ललित किशोर तिवारी और पी.आर.एस. बाजपेयी ने पैरवी की।
कानूनी सवाल:
- क्या 16 दिसंबर 2023 को हुए चुनाव वैध थे, जबकि उस पर स्थगन आदेश था?
- जब सुलह प्रक्रिया लंबित थी, तो बिना अदालत की अनुमति चुनाव कराना वैध था?
- क्या अदालत को बार एसोसिएशन के अंदरूनी चुनावों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है?
- क्या अदालत एक निष्पक्ष एल्डर्स कमेटी बनाकर नए चुनाव करा सकती है?
घटनाक्रम की समयरेखा:
- 30 नवम्बर 2023: पक्षकारों ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि 2 दिसंबर को प्रस्तावित चुनाव रोक दिए जाएंगे।
- 7 दिसंबर 2023: पक्षकारों ने विवाद सुलझाने के लिए और समय माँगा।
- 16 दिसंबर 2023: बिना कोर्ट को सूचित किए चुनाव करवा दिए गए।
- उसी दिन: कोर्ट ने वोटों की गिनती पर रोक लगाते हुए प्रक्रिया पर अंतरिम स्थगनादेश जारी किया।
- वोटों की गिनती कभी नहीं हुई: जिससे बार एसोसिएशन के संचालन में एक असाधारण कानूनी शून्यता उत्पन्न हो गई।
अदालत की टिप्पणियां:
कोर्ट ने कहा:
“किसी भी चुनाव की अनुमति तभी दी जानी चाहिए थी जब इसकी सूचना इस न्यायालय को दी जाती।”
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मामला लंबित रहने के बावजूद जल्दबाज़ी में और बिना अनुमति के चुनाव कराना न केवल कोर्ट की गरिमा का उल्लंघन है, बल्कि दिए गए आश्वासनों की भी अवहेलना है।
कोर्ट ने टिप्पणी की:
“यदि बार एसोसिएशन में निष्पक्ष और उचित चुनाव न हों, तो अदालतों का संचालन और न्याय का वितरण प्रभावित हो सकता है।”
नई एल्डर्स कमेटी का गठन:
कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पाँच वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नई एल्डर्स कमेटी बनाई:
- श्री मानु प्रताप सिंह – अध्यक्ष
- श्री शंकर लाल गुप्ता – सदस्य
- श्री राम बहादुर सिंह चौहान – सदस्य
- श्री सत्येंद्र बहादुर सिंह – सदस्य
- श्री डी.पी. पाल – सदस्य
इन सभी सदस्यों ने स्वेच्छा से चुनाव की निगरानी की जिम्मेदारी ली है।
नए चुनाव के लिए निर्देश:
- चुनाव बार काउंसिल के उपविधियों और 2015 के प्रैक्टिस प्रमाणपत्र नियमों के अनुसार ही कराए जाएं।
- “एक अधिवक्ता, एक वोट, एक बार एसोसिएशन” के सिद्धांत को सख्ती से लागू किया जाए।
- कम से कम दो साल की वरिष्ठता रखने वाले अधिवक्ताओं को ही मतदान का अधिकार हो।
- चुनाव दो महीने के भीतर संपन्न किए जाएं।
- जिला जज, रायबरेली पुलिस सहयोग की व्यवस्था करें ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
- पहले नामांकन भर चुके उम्मीदवारों को दोबारा सभी औपचारिकताएं नहीं करनी होंगी (जब तक विशेष रूप से न कहा जाए)।
- जो उम्मीदवार चुनाव से हटना चाहें, उन्हें रिफंड की अनुमति दी जाएगी।