सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने युवा वकीलों को AI और कॉपी-पेस्ट पर अत्यधिक निर्भरता से किया सावधान

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक हालिया कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने युवा वकीलों में कानूनी दस्तावेजों के मसौदे तैयार करते समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कॉपी-पेस्ट पर बढ़ती निर्भरता को लेकर चिंता व्यक्त की।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कानून के क्षेत्र में मानव बौद्धिकता और अंतर्ज्ञान का कोई विकल्प नहीं हो सकता, और तकनीक के तैयार समाधानों पर अधिक भरोसा करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, “तकनीक के अपने फायदे हैं और यह शोध और संगठन में सहायक हो सकती है, लेकिन यह कभी भी बौद्धिक कठोरता, मानवीय गहराई और अंतर्ज्ञान की जगह नहीं ले सकती, जो एक कुशल वकील की पहचान होती है।”

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AI की सीमाओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे संदेह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पूरी तरह से संदर्भ को समझने और उस वकालत की बारीकियों को पकड़ने की क्षमता रखता है, जो अदालत में फर्क पैदा करती हैं।”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने खासतौर पर युवा वकीलों से अपील की कि वे तकनीकी शॉर्टकट्स के बजाय अपने कानूनी ज्ञान और कौशल को निखारने पर ध्यान दें। उन्होंने चेतावनी दी कि मामलों की संख्या बढ़ाने की होड़ में कानूनी पेशे की गुणवत्ता और गरिमा को कमजोर किया जा सकता है।

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डिजिटल तकनीक और AI के तेजी से बढ़ते उपयोग के इस दौर में जस्टिस सूर्यकांत की यह सलाह युवा वकीलों के लिए एक अहम संदेश है कि वे तकनीक का संतुलित उपयोग करें और अपनी व्यक्तिगत दक्षताओं को विकसित करने पर जोर दें।

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