क्षैतिज आरक्षण मेरिट से ऊपर नहीं हो सकता: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने दोषपूर्ण चयन प्रक्रिया के लिए एपीपीएससी की आलोचना की

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश लोक सेवा आयोग (APPSC) द्वारा क्षैतिज आरक्षण (Horizontal Reservation) के गलत क्रियान्वयन की कड़ी आलोचना की है, जिससे मेरिटोरियस (योग्य) उम्मीदवार को असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (ACF) पद पर नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था। अदालत ने दोहराया कि क्षैतिज आरक्षण मेरिट से ऊपर नहीं हो सकता और एपीपीएससी की चयन प्रक्रिया को संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करार दिया, जिसमें कम अंक पाने वाले उम्मीदवारों को अधिक योग्य उम्मीदवारों से पहले नियुक्त कर दिया गया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला एपीपीएससी द्वारा नोटिफिकेशन संख्या 23/2007 के तहत असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (ACF) के 22 रिक्त पदों की भर्ती से संबंधित है। इनमें से छह पद ओपन कैटेगरी (OC) जनरल के लिए और चार पद OC महिलाओं के लिए आरक्षित थे, जिससे कुल 10 पद OC के अंतर्गत आए

याचिकाकर्ता के. सुरेश कुमार ने 660 में से 409 अंक प्राप्त किए और OC जनरल श्रेणी में 9वें स्थान पर रहे। हालांकि, 25 मई 2010 को एपीपीएससी द्वारा जारी अंतिम चयन सूची में उनका नाम नहीं था। एपीपीएससी ने सफाई दी कि ओसी श्रेणी के 10 पदों में से सात पदों पर महिलाओं का चयन किया गया, जो महिलाओं के लिए 33⅓% क्षैतिज आरक्षण कोटे से अधिक था।

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इस भेदभावपूर्ण और अवैध चयन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए, कुमार ने आंध्र प्रदेश प्रशासनिक अधिकरण (APAT) में याचिका (O.A. No. 3556/2010) दायर की और तर्क दिया कि एपीपीएससी ने क्षैतिज आरक्षण के सिद्धांत को गलत तरीके से लागू किया, जिससे उन्हें उच्च अंक होने के बावजूद चयन से वंचित कर दिया गया।

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कानूनी मुद्दे और अधिकरण का निर्णय

ट्रिब्यूनल ने 15 मार्च 2012 को अपने फैसले में कुमार के पक्ष में निर्णय दिया और कहा कि क्षैतिज आरक्षण को मेरिट सूची के भीतर लागू किया जाना चाहिए, न कि इसे एक अलग वर्टिकल कैटेगरी की तरह इस्तेमाल किया जाए

अधिकरण ने यह भी माना कि महिलाओं के लिए अधिक आरक्षण देना सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंद्रा साहनी बनाम भारत सरकार और राजेश कुमार दरिया बनाम राजस्थान लोक सेवा आयोग जैसे मामलों में दिए गए सिद्धांतों का उल्लंघन था।

हालांकि, अधिकरण ने पहले से नियुक्त महिला उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द करने के बजाय कुमार को BC-D श्रेणी के एक रिक्त पद पर समायोजित करने का निर्देश दिया, क्योंकि उस पद पर चयनित उम्मीदवार ने जॉइन नहीं किया था।

हाईकोर्ट में चुनौती और अंतिम फैसला

राज्य सरकार और एपीपीएससी दोनों ने अधिकरण के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी (W.P. No. 17319/2012 और W.P. No. 24591/2012)। उन्होंने तर्क दिया कि कुमार, जो OC श्रेणी से थे, उन्हें BC-D श्रेणी के रिक्त पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, कुमार ने भी W.P. No. 16265/2014 दायर कर अपनी नियुक्ति OC रिक्ति में करने की मांग की और कम अंकों वाली महिला उम्मीदवारों की नियुक्ति को निरस्त करने का आग्रह किया

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हाईकोर्ट का फैसला

18 मार्च 2025 को जस्टिस रवि नाथ तिलहरी और जस्टिस किरणमयी मंदावा की पीठ ने ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखते हुए एपीपीएससी की चयन प्रक्रिया को अवैध ठहराया।

अदालत ने कहा कि क्षैतिज आरक्षण मेरिट सूची के भीतर ही लागू होना चाहिए, न कि इसे इस तरह लागू किया जाए कि अधिक योग्य उम्मीदवारों को नुकसान हो। सुप्रीम कोर्ट के राजेश कुमार दरिया मामले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा:

“जो महिलाएं मेरिट के आधार पर चयनित होती हैं, उन्हें क्षैतिज आरक्षण के अंतर्गत ही गिना जाएगा। किसी विशेष श्रेणी के लिए आरक्षण को एक अलग वर्टिकल कैटेगरी की तरह नहीं माना जा सकता, जिससे मेरिट से समझौता हो।”

हाईकोर्ट ने पाया कि एपीपीएससी ने OC जनरल श्रेणी के रिक्त पदों को भरने के लिए पहले छह उम्मीदवारों (जिनमें तीन महिलाएं थीं) को मेरिट के आधार पर चुना और फिर सभी चार आरक्षित स्लॉट महिलाओं से भर दिए

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“एपीपीएससी की इस प्रक्रिया के कारण OC श्रेणी में कुल सात महिलाओं की नियुक्ति हुई, जबकि क्षैतिज आरक्षण के तहत केवल चार महिलाओं का चयन होना चाहिए था। इस दोषपूर्ण चयन प्रक्रिया के कारण अधिक योग्य पुरुष उम्मीदवारों को बाहर कर दिया गया, जिसमें याचिकाकर्ता भी शामिल थे।”

अंतिम आदेश और निर्देश

हाईकोर्ट ने कुमार के चयन का अधिकार स्वीकार किया, लेकिन पहले से नियुक्त महिलाओं को सेवा से हटाने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे एक दशक से अधिक समय से कार्यरत थीं। हालांकि, न्यायालय ने एपीपीएससी और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि कुमार को अगले उपलब्ध OC रिक्त पद पर नियुक्त किया जाए

“राज्य सरकार की गलती की सजा याचिकाकर्ता को नहीं दी जा सकती। उनका चयन वैध था और संबंधित प्राधिकरण को निर्देश दिया जाता है कि उन्हें जल्द से जल्द उपयुक्त पद पर नियुक्त किया जाए।”

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