दिल्ली हाईकोर्ट 7 अप्रैल को सुनेगा CLAT 2025 के नतीजों को चुनौती देने वाली याचिकाएं

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2025 कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) के नतीजों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 7 अप्रैल की तारीख तय की है। यह फैसला छात्रों में परीक्षा परिणामों को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के मद्देनजर लिया गया है। कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है ताकि छात्रों की चिंता को कम किया जा सके।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने इस मामले के शीघ्र निपटारे की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे हजारों विधि अभ्यर्थियों की चिंता दूर हो सके। उन्होंने कहा कि छात्रों की शिकायतों का निष्पक्ष और त्वरित समाधान करना अदालत की प्राथमिकता है।

READ ALSO  क्रिकेट मैच की घटना के बाद विवादित तोड़फोड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र प्राधिकरण से सवाल किए

यह याचिकाएं, जो स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) दोनों परीक्षाओं के परिणामों की वैधता को चुनौती देती हैं, पहले देशभर के विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर की गई थीं। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर इन सभी मामलों को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे अलग-अलग फैसलों की संभावना को रोका जा सके। इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति भी की है।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) कंसोर्टियम के वकील ने परीक्षा से जुड़ी चुनौतियों को स्वीकार किया और विवादास्पद प्रश्नों और प्रासंगिक न्यायिक निर्णयों का विस्तृत संकलन प्रस्तुत करने की प्रतिबद्धता जताई। यह कदम परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता को स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

READ ALSO  निजी सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होता नियम 12A: मद्रास हाईकोर्ट ने शिक्षक की नियुक्ति को मंज़ूरी न देने का आदेश रद्द किया

इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने CLAT से जुड़े भारी शुल्क (फीस) पर भी सवाल उठाए हैं और इसकी वैधता पर प्रश्न खड़े किए हैं। यह कानूनी चुनौती प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता से जुड़े व्यापक मुद्दों को उजागर करती है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने CLAT कंसोर्टियम का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस सुनवाई से कानून के छात्रों और शैक्षिक जगत की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि इससे देश के शीर्ष विधि विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को लेकर महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकल सकते हैं।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने मोटिवेशनल स्पीकर के खिलाफ याचिका पर केंद्र, सीबीआई से मांगा जवाब
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles