इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी केस लिस्टिंग प्रणाली में अचानक बदलाव किया है। 3 मार्च से प्रभावी नए प्रारूप में पूरे दिन सभी मामलों को एक ही क्रम में व्यवस्थित किया जाएगा। पहले, मामलों को अलग-अलग श्रेणियों में सूचीबद्ध किया जाता था, जिसमें नए मामलों के लिए 1 से 2999 तक, असूचीबद्ध मामलों के लिए 3000 से 7999 और विविध आवेदनों के लिए 8000 से आगे की क्रम संख्या होती थी।
इस विभाजन से अदालतों या गलियारों में मौजूद वकीलों को प्रत्येक न्यायालय में कार्यवाही की प्रकृति को आसानी से सीरियल नंबर से पहचानने की अनुमति मिलती थी। हालाँकि, संशोधित प्रणाली में अब अधिवक्ताओं को चल रहे मामलों को समझने के लिए पूरी सूची याद रखने की आवश्यकता होगी, जो कि कई लोगों को कठिन लगता है।
एडवोकेट महेश शर्मा ने नई प्रणाली के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पूरे डॉकेट पर नज़र रखना एक बड़ी चुनौती होगी। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व संयुक्त सचिव आशुतोष त्रिपाठी ने बदलाव के बारे में पूर्व सूचना न दिए जाने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस अचानक संशोधन से वकीलों को परेशानी हो रही है, जिन्हें नई व्यवस्था को समझने और अपनाने में समय लगेगा। त्रिपाठी ने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष/महासचिव से इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह किया है।
