झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को साहिबगंज के उपायुक्त राम निवास यादव पर खनन लाइसेंस को अनुचित तरीके से रद्द करने के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायालय ने पाया कि उपायुक्त ने लाइसेंस को तब रद्द करके अपने अधिकार का अतिक्रमण किया, जब यह अभी भी कानूनी रूप से प्रभावी था।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब प्रभावित खनन कंपनी ने 8 सितंबर, 2023 को अपने खनन लाइसेंस को रद्द करने के उपायुक्त के फैसले को चुनौती दी। कंपनी ने तर्क दिया कि रद्द करना मनमाना था और इसमें कानूनी आधार नहीं था, जिसके कारण उन्हें न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करनी पड़ी।
कार्यवाही के दौरान, हाईकोर्ट ने उन परिस्थितियों की जांच की, जिनके तहत लाइसेंस रद्द किया गया था और निष्कर्ष निकाला कि उपायुक्त के पास समय से पहले पट्टे को समाप्त करने का कानूनी अधिकार नहीं था।
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अपने फैसले में हाईकोर्ट ने न केवल दंडात्मक उपाय के रूप में जुर्माना लगाया, बल्कि खनन कंपनी को इस गलत तरीके से रद्द किये जाने के परिणामस्वरूप बकाया राशि की वसूली के लिए सिविल अदालत में आगे की कानूनी कार्रवाई करने की स्वतंत्रता भी प्रदान की।