सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) के आगामी चुनावों में महिलाओं के लिए तीन महत्वपूर्ण पद आरक्षित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जिला बार एसोसिएशनों पर भी लागू होगा, जहां कोषाध्यक्ष का पद और 30% अतिरिक्त पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे।
यह निर्णय न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सुनाया। DHCBA में आरक्षित किए गए पदों में कोषाध्यक्ष, ‘डिज़िग्नेटेड सीनियर मेंबर एग्जीक्यूटिव,’ और सीनियर कैटेगरी से एक सदस्य का पद शामिल है। यह प्रावधान आगामी चुनावों के लिए एक प्रयोगात्मक कदम के रूप में लागू किया जाएगा, और चुनाव तय समय पर ही होंगे।
यह निर्देश उन चर्चाओं के बाद आया है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशनों में महिलाओं की भूमिका की कमी पर चिंता जताई थी। विशेष रूप से, पीठ ने 1962 से अब तक DHCBA में एक भी महिला अध्यक्ष न होने को “निराशाजनक” बताया।
सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप तब हुआ जब DHCBA ने आरक्षण लागू करने का विरोध किया। 7 अक्टूबर को हुई जनरल बॉडी मीटिंग में कार्यकारिणी समिति में सीटें आरक्षित करने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
कानूनी और न्यायिक भूमिकाओं में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व का मुद्दा कई याचिकाओं के केंद्र में है। इनमें से एक याचिका अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने दायर की है, जिसमें उन्होंने यह तर्क दिया कि महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व उनके अधिकारों और न्याय तक पहुंच को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने दिल्ली के सभी एडवोकेट बार चुनावों में 33% आरक्षण की मांग की है।