संभल हिंसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट में नई याचिका, डीएम और एसपी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग

संभल में हाल ही में हुई हिंसा के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक नई जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है, जिसमें जिले के प्रशासनिक अधिकारियों, जिनमें ज़िलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) शामिल हैं, के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। यह याचिका हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा अधिवक्ता सहेर नक़वी और मोहम्मद आरिफ के माध्यम से दाखिल की गई है। इसमें इन अधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी की भी मांग की गई है, आरोप लगाया गया है कि ये हिंसा में हुई मौतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।

याचिका में विशेष रूप से पुलिस फायरिंग की घटना का उल्लेख किया गया है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से दखल देकर न्याय सुनिश्चित करने की मांग की है।

यह कानूनी कदम संभल में उभरते विवाद को एक नई दिशा देता है, जहां मुग़लकालीन जामा मस्जिद के कोर्ट-आदेशित सर्वे के बाद तनाव बढ़ गया था। यह सर्वे एक समूह, जिसमें महंत ऋषिराज गिरी भी शामिल हैं, के दावे की जांच के लिए किया गया था कि यह मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। सिविल जज आदित्य सिंह द्वारा दिए गए विवादित एकतरफा आदेश के तहत यह सर्वे अधिवक्ता कमिश्नर रमेश चंद राघव द्वारा किया गया।

Video thumbnail

इस सर्वे के विरोध में हुए प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया, जहां प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग लगा दी और पुलिस पर पथराव किया। जवाब में, पुलिस ने आंसू गैस और लाठियों का सहारा लिया। इससे पहले, इस हिंसा में उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक और जनहित याचिका दाखिल की गई थी। उस याचिका में एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग की गई थी, जिसे एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज की निगरानी में रखा जाए।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में दखल देते हुए संभल के शाही जामा मस्जिद से जुड़े मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट को फिलहाल सील बंद रखा जाए और तब तक न खोला जाए जब तक हाईकोर्ट से कोई निर्देश न मिले।

READ ALSO  भारत के पहले कानून मंत्री का त्याग पत्र है गायब- आरटीआई में हुआ खुलासा
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles