सुप्रीम कोर्ट  ने प्रतिकूल कब्जे के माध्यम से निजी भूमि पर राज्य के दावे को खारिज किया, संवैधानिक अधिकारों को बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट  ने घोषणा की है कि प्रतिकूल कब्जे के माध्यम से निजी संपत्ति पर राज्य के कब्जे की अनुमति देना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करता है और सरकार में जनता के विश्वास को कम करता है। यह महत्वपूर्ण निर्णय तब आया जब न्यायालय ने हरियाणा सरकार की अपील को खारिज कर दिया, जिसने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें विवादित भूमि के एक टुकड़े पर निजी पक्ष को कब्जा बहाल किया गया था।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति  पी.बी. वराले की पीठ ने हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि हरियाणा के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के दावे में कानूनी योग्यता का अभाव है। न्यायालय ने कहा, “वादी ने मुकदमे की संपत्ति पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया है, और राज्य अपने नागरिकों के विरुद्ध प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकता।”

READ ALSO  कोर्ट से बोले द न्याय जस्टिस के निर्माता, यह सुशांत सिंह राजपूत पर बनने वाली फ़िल्म नही है

दिल्ली और बहादुरगढ़ को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित विवादित भूमि लंबे समय से कानूनी लड़ाई का केंद्र रही है। सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि राजस्व अभिलेख, जिन्हें सार्वजनिक दस्तावेज माना जाता है, निजी पक्ष के स्वामित्व की पुष्टि करते हैं और राज्य के दावे को खारिज कर देते हैं।

Video thumbnail

पीठ ने टिप्पणी की, “राज्य को प्रतिकूल कब्जे के माध्यम से निजी संपत्ति को हड़पने की अनुमति देना न केवल नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करेगा, बल्कि सरकार में जनता के विश्वास को भी खत्म करेगा।” न्यायाधीशों ने आगे विस्तार से बताया कि राजस्व अभिलेख अकेले स्वामित्व प्रदान नहीं करते हैं, लेकिन वे कब्जे के सबूत के रूप में स्वीकार्य हैं और जब अन्य सबूतों के साथ संयुक्त होते हैं, तो स्वामित्व के दावे को पुष्ट कर सकते हैं।

READ ALSO  जब तक विवाह नहीं होता, एक साथ रहना द्विविवाह नहीं है: राजस्थान हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles