दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को आप नेता अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल की याचिका के जवाब में भाजपा नेता हरीश खुराना को नोटिस जारी किया। सुनीता केजरीवाल ने दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में कथित पंजीकरण के संबंध में निचली अदालत के समन को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कार्यवाही की अध्यक्षता की और विधिवत तामील के बावजूद खुराना के बार-बार अनुपस्थित रहने पर चिंता व्यक्त की।
सुनीता केजरीवाल को निचली अदालत ने हरीश खुराना की शिकायत पर समन भेजा था। हरीश खुराना ने उन पर उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद और दिल्ली के चांदनी चौक की मतदाता सूचियों में एक साथ अपना नाम दर्ज कराकर जनप्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 17 किसी व्यक्ति को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने से रोकती है।
हाईकोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि खुराना पिछली चार सुनवाई में उपस्थित होने में विफल रहे हैं और चेतावनी दी कि यदि वे इस नोटिस के बाद भी उपस्थित नहीं होते हैं तो मामला उनके बिना ही आगे बढ़ेगा। मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को तय की गई है और ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगाने वाला अंतरिम आदेश जारी रहेगा।
सुनवाई के दौरान सुनीता केजरीवाल के वकील ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में उचित विचार-विमर्श का अभाव था और यह अन्यायपूर्ण था। उन्होंने दावा किया कि स्थानांतरित होने के बाद सुनीता केजरीवाल ने मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए अधिकारियों को विधिवत सूचित किया था, उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके पिछले पंजीकरण को हटाने में कोई भी विफलता प्रशासनिक चूक थी और उनकी कोई गलती नहीं थी।
सुनीता केजरीवाल के बचाव पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह सुझाव दे कि उन्होंने अपने मतदाता पंजीकरण के बारे में कोई गलत घोषणा की थी, उन आरोपों का खंडन किया जिनके लिए आरपी अधिनियम की धारा 31 के अनुसार अधिकतम दो साल की जेल की सजा हो सकती है।