इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से न्यायालय का नाम बदलकर “उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट” करने की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता दीपांकर कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका में विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले भारत संघ को प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ द्वारा की जा रही है।
सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने याचिका की विचारणीयता के प्रश्न और याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहतों पर आपत्तियों को खुला रखने का निर्णय लिया। पीठ ने जनहित याचिका सिविल संख्या 14171/2020 में समन्वय पीठ द्वारा दिए गए पिछले निर्णय का हवाला दिया, जिसका मामले पर असर हो सकता है। न्यायालय ने केंद्र और अन्य प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, यह देखते हुए कि याचिका में 1948 के समामेलन आदेश की वैधता को भी चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता को केंद्र का जवाब मिलने के बाद जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है।
न्यायालय ने हलफनामे दाखिल करने के बाद अगली सुनवाई की तारीख तय की है। यह घटनाक्रम इस बात पर व्यापक चर्चा का हिस्सा है कि क्या “इलाहाबाद हाईकोर्ट” नाम को राज्य के वर्तमान नाम, उत्तर प्रदेश को दर्शाने के लिए अपडेट किया जाना चाहिए।