सुप्रीम कोर्ट ने रिकवरी एजेंट फर्म को बताया ‘गुंडों का गिरोह’, कर्ज चुकाने के बावजूद वाहन न लौटाने पर कार्रवाई के आदेश

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त कदम उठाते हुए एक रिकवरी एजेंट फर्म के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसने कर्ज पूरी तरह चुकाए जाने के बाद भी वाहन वापस नहीं किया। अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को दो महीने के भीतर रिकवरी एजेंट फर्म के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने का आदेश दिया है, साथ ही पीड़ित वाहन मालिक को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने बैंक से जुड़ी इस रिकवरी एजेंट फर्म को ‘गुंडों का गिरोह’ करार देते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस को फर्म के खिलाफ आपराधिक आरोपों में कार्रवाई करने का निर्देश दिया। फर्म ने वाहन मालिक देबाशीष बोस रॉय चौधरी को जब्त की गई बस वापस करने से इनकार कर दिया, जबकि उन्होंने वाहन खरीद के लिए लिए गए ₹15.15 लाख के कर्ज का भुगतान कर दिया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने रिकवरी एजेंटों द्वारा ताकत के दुरुपयोग और उधारकर्ताओं के खिलाफ डराने-धमकाने की रणनीति को उजागर किया। न्यायाधीशों ने कहा कि कर्ज चुकाने के बावजूद, रिकवरी एजेंटों ने न केवल वाहन को रोक रखा, बल्कि उसे क्षतिग्रस्त अवस्था में लौटाया, जिसमें चेसिस और इंजन के नंबर भी बदल दिए गए थे। इस मामले में पश्चिम बंगाल के सोडपुर पुलिस स्टेशन में पिछले साल मेसर्स सिटी इन्वेस्टिगेशन एंड डिटेक्टिव के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420 और 471 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

पीठ ने बैंक ऑफ इंडिया को भी फर्म से धन की वसूली सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, और मामले का त्वरित और तार्किक निष्कर्ष दो महीने की निर्धारित अवधि के भीतर निकालने पर जोर दिया।

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