छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लिया स्वप्रेरित संज्ञान: फिटनेस मशीनों की मरम्मत न होने से जनता की सुरक्षा खतरे में

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वाहन फिटनेस परीक्षण मशीनों के खराब होने से जुड़ी एक गंभीर सार्वजनिक समस्या पर स्वप्रेरित संज्ञान लिया है। यह कदम 14 अगस्त, 2024 को स्थानीय समाचार पत्रों, दैनिक भास्कर और नवभारत में प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर उठाया गया है। इस मामले को WPPIL संख्या 62/2024 के तहत “मशीनें खराब, वाहनों का फिटनेस परीक्षण ठप” शीर्षक से दर्ज किया गया है।

मामले की पृष्ठभूमि:

यह मामला छत्तीसगढ़ के कई जिलों में स्थित स्वचालित केंद्रों पर फिटनेस परीक्षण मशीनों के एक सप्ताह से अधिक समय से खराब होने की चौंकाने वाली रिपोर्टों से उत्पन्न हुआ। इस स्थिति के कारण हजारों वाहन, जिनमें आपातकालीन एंबुलेंस भी शामिल हैं, अपने फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने में असमर्थ रहे हैं। इस खराबी ने जनता को भारी असुविधा दी है और वाहनों की सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न की हैं, जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है।

निजी कंपनी रोविंग आई सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, जिसे नवंबर 2023 में इन केंद्रों के प्रबंधन के लिए ठेका दिया गया था, तकनीकी समस्याओं को समय पर हल करने में असमर्थ रही है। यह कंपनी बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, बस्तर, सरगुजा, कोरबा, और राजनांदगांव सहित सात जिलों में फिटनेस परीक्षण के लिए जिम्मेदार है। कथित तौर पर प्रतिदिन 1.5 लाख रुपये से अधिक की कमाई करने के बावजूद, कंपनी ने न तो मशीनों की मरम्मत की है और न ही कोई वैकल्पिक समाधान प्रदान किया है।

कानूनी मुद्दे और न्यायालय की टिप्पणियाँ:

मुख्य कानूनी मुद्दा निजी ठेकेदार और संबंधित सरकारी अधिकारियों की कथित लापरवाही और जिम्मेदारी की कमी के इर्द-गिर्द घूमता है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की पीठ ने आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं के बाधित होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

न्यायालय ने कहा कि इन मशीनों की मरम्मत में विफलता और किसी भी वैकल्पिक व्यवस्था की अनुपस्थिति के कारण जनता को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। न्यायालय ने इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए टिप्पणी की, “वाहनों का फिटनेस परीक्षण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो चालक और जनता दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इस मामले में कोई भी देरी या लापरवाही सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालती है।”

न्यायालय की पूछताछ के जवाब में, महाधिवक्ता श्री प्रफुल्ल भारत ने सरकारी अधिवक्ता श्री संघर्ष पांडे की सहायता से पीठ को सूचित किया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक नई मशीन की खरीद की गई है और मौजूदा प्रणाली की कार्यक्षमता को बहाल करने के प्रयास जारी हैं।

न्यायालय के निर्देश:

न्यायालय ने छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग के सचिव को व्यक्तिगत शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें खराब मशीनों को ठीक करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण दिया जाए। इसके अतिरिक्त, इस शपथ पत्र में राज्य के अन्य जिलों में फिटनेस परीक्षण सुविधाओं की स्थिति और भविष्य में इस तरह की समस्याओं को रोकने के लिए लागू किए गए उपायों का विवरण भी शामिल होना चाहिए।

इस मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त, 2024 को निर्धारित की गई है।

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मामले में शामिल पक्ष:

– याचिकाकर्ता: मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वप्रेरित जनहित याचिका।

– प्रतिवादी:

  – छत्तीसगढ़ राज्य, जिसमें मुख्य सचिव और परिवहन विभाग के सचिव सहित विभिन्न अधिकारी।

  – रोविंग आई सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, फिटनेस केंद्रों के लिए जिम्मेदार निजी ठेकेदार।

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