एक महत्वपूर्ण फैसले में, गुजरात हाईकोर्ट ने 400 करोड़ रुपये के कथित मत्स्य पालन घोटाले से जुड़े पूर्व भाजपा मंत्रियों पुरुषोत्तम सोलंकी और दिलीप संघानी की आरोप मुक्त करने की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने सुनाया, जिन्होंने पूर्व मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर अस्थायी रोक को चार सप्ताह के लिए बढ़ा दिया।
यह विवाद 2008 का है, जब तत्कालीन मत्स्य पालन राज्य मंत्री सोलंकी और कृषि मंत्री संघानी पर गुजरात भर में 58 जलाशयों में मछली पकड़ने के ठेके आवंटित करने के लिए निविदा प्रक्रिया को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया था। आरोप सबसे पहले पालनपुर के एक व्यवसायी इशाक मराडिया ने लगाए थे, जिन्होंने दावा किया था कि ठेके उचित कानूनी प्रक्रियाओं के बिना दिए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप एक बड़ा वित्तीय घोटाला हुआ।
राज्य सरकार द्वारा सोलंकी के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी न दिए जाने के बाद मराडिया ने 2012 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद, गुजरात की तत्कालीन राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल ने राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को खारिज कर दिया और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सोलंकी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी। इसके कारण मराडिया ने सोलंकी और संघानी दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।
मामला दर्ज होने के बाद, गांधीनगर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अदालत ने मई 2013 में एसीबी को मामले की गहन जांच करने और एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। 2015 में प्रस्तुत एसीबी के निष्कर्षों ने मछली पकड़ने के ठेके देने में कई अनियमितताओं को उजागर किया।
Also Read
एसीबी अदालत के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिकाओं को हाईकोर्ट द्वारा 2018 में खारिज करने सहित कार्यवाही को चुनौती देने के पिछले प्रयासों के बावजूद, कानूनी लड़ाई जारी रही है। नवीनतम निर्णय सोलंकी और संघानी के लिए एक और झटका है, जिसमें आगे की जांच लंबित रहने तक उन्हें कानून के तहत जवाबदेह ठहराया गया है।