सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनकी अलग रह रही पत्नी पायल के बीच लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उन्हें तलाक की याचिका के संबंध में नोटिस जारी किया। यह कदम दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उमर की तलाक की याचिका को खारिज करने के बाद उठाया गया है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि दंपति 15 साल से अलग रह रहे हैं और उन्होंने इस रिश्ते को “मृत विवाह” बताया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता का प्रतिनिधित्व किया।
उमर और पायल का रिश्ता तब शुरू हुआ जब वे दोनों नई दिल्ली के ओबेरॉय में कार्यरत थे, जिसके बाद 1994 में उनकी शादी हुई। दंपति के दो बेटे हैं, जाहिर और जमीर। उमर ने 2011 में सार्वजनिक रूप से पायल से अलग होने की घोषणा की, जिससे उनकी 17 साल पुरानी शादी खत्म हो गई।
हाल ही में हुए घटनाक्रम में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल दिसंबर में उमर अब्दुल्ला की तलाक की अपील को खारिज कर दिया था, क्योंकि इसमें कोई दम नहीं था। इस फैसले में 2016 के पारिवारिक न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा गया था, जिसने तलाक के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय का फैसला पारिवारिक न्यायालय के निष्कर्षों के अनुरूप था, जिसमें उमर द्वारा तलाक के आधार के रूप में बताए गए क्रूरता के आरोपों की पुष्टि नहीं की गई थी।
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इसके अतिरिक्त, उच्च न्यायालय ने उमर पर वित्तीय दायित्व लगाए, उन्हें पायल को प्रति माह 1.5 लाख रुपये और अपने बेटे की शिक्षा के खर्च के लिए 60,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।