कर्नाटक हाईकोर्ट ने राजनेताओं के खिलाफ चुनाव याचिकाओं में भूमिका को देखते हुए बलात्कार के मामले में वकील को जमानत दी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने वकील जी. देवराजे गौड़ा, जिन पर बलात्कार का आरोप है, को जमानत दी। न्यायमूर्ति एम.जी. उमा ने यह फैसला क्रिमिनल पिटीशन नंबर 5449/2024 में सुनाया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला होलेनरसिपुरा, हासन जिला की 36 वर्षीय विवाहित महिला ज्योति द्वारा लगाए गए आरोपों के इर्द-गिर्द घूमता है। शिकायत, जो पहली बार 1 अप्रैल, 2024 को दर्ज की गई थी, में गौड़ा पर यौन उत्पीड़न, नजरअंदाजी, आपराधिक अतिक्रमण, जानबूझकर अपमान और आपराधिक धमकी के आरोप लगाए गए थे, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत थे। 10 अप्रैल, 2024 को ज्योति के एक और बयान में बलात्कार के आरोप जोड़े गए, जिससे IPC की धारा 376(1) शामिल की गई।

कानूनी मुद्दे

मुख्य कानूनी मुद्दा यह था कि क्या गौड़ा को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) की धारा 439 के तहत जमानत दी जानी चाहिए। न्यायालय को निम्नलिखित पर विचार करना था:

– शिकायत दर्ज करने में देरी।

– आरोपों की विश्वसनीयता।

– राजनीतिक व्यक्तियों के खिलाफ चुनाव याचिकाओं में गौड़ा की भागीदारी, जिसके कारण उन्होंने प्रतिशोध के रूप में शिकायत दर्ज की।

न्यायालय के अवलोकन और निर्णय

न्यायमूर्ति एम.जी. उमा ने अपने आदेश में कई मुख्य बिंदुओं को नोट किया:

– शिकायत में देरी: न्यायालय ने शिकायत दर्ज करने में लगभग तीन महीने की अनुचित देरी पर ध्यान दिया, जिसमें FIR 1 अप्रैल, 2024 को दर्ज की गई थी और बलात्कार का आरोप 10 अप्रैल, 2024 को दिए गए आगे के बयान में सामने आया था।

– प्रत्यावेदन-शिकायतें: न्यायालय ने गौड़ा और ज्योति के पति धर्मेंद्र के बीच शिकायतों और प्रत्यावेदन-शिकायतों के क्रम को उजागर किया। गौड़ा ने 28 मार्च, 2024 को ज्योति और धर्मेंद्र के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, जिसके बाद 31 मार्च, 2024 को धर्मेंद्र की प्रत्यावेदन-शिकायत दर्ज की गई।

– राजनीतिक संदर्भ: न्यायालय ने गौड़ा की भूमिका को एक वकील के रूप में राजनीतिक व्यक्तियों के खिलाफ चुनाव याचिकाओं में शामिल होने के रूप में ध्यान में रखा, जिसके परिणामस्वरूप कुछ प्रतिवादियों की अयोग्यता हुई थी। इस संदर्भ को शिकायतों के पीछे की प्रेरणाओं का आकलन करते समय प्रासंगिक माना गया।

न्यायमूर्ति उमा ने कहा, “इन सभी तथ्यों और परिस्थितियों को जमानत अर्जी पर विचार करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए ताकि यह राय बनाई जा सके कि क्या याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध करने के लिए मजबूत प्रथम दृष्टया सामग्री है।”

जमानत की शर्तें

न्यायालय ने निम्नलिखित शर्तों के साथ गौड़ा को जमानत दी:

– उन्हें 2,00,000 रुपये का बंधन और इतनी ही राशि की दो जमानतें प्रस्तुत करनी होंगी।

– वे इसी तरह के अपराध नहीं करेंगे।

– वे अभियोजन पक्ष के गवाहों को धमकी नहीं देंगे और उनके साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे।

– वे अदालत में उपस्थित होंगे जब भी आवश्यक हो।

न्यायालय ने जोर दिया कि ये अवलोकन केवल जमानत याचिका पर निर्णय लेने के उद्देश्य से हैं और मामले की योग्यता पर ट्रायल कोर्ट के निर्णय को प्रभावित नहीं करेंगे।

Also Read

प्रतिनिधित्व

वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण श्याम, साथ में अधिवक्ता एम.आर. विजया कुमार ने याचिकाकर्ता जी. देवराजे गौड़ा का प्रतिनिधित्व किया। राज्य की ओर से वरिष्ठ सार्वजनिक अभियोजक बी.ए. बेलियप्पा और हाईकोर्ट सरकार के अधिवक्ता के.पी. यशोधा ने प्रतिनिधित्व किया।

मामला शीर्षक: जी. देवराजे गौड़ा बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य  

मामला संख्या: क्रिमिनल पिटीशन नंबर 5449/2024  

न्यूट्रल साइटेशन: 2024:KHC:24386

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles