यहां की एक अदालत ने धोखाधड़ी के आरोपी एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है और कहा है कि किसी आरोपी से निरंतर पूछताछ के अवसर से इनकार करके पुलिस की जांच करने की शक्ति को खत्म नहीं किया जा सकता है।
अवकाश न्यायाधीश अपर्णा स्वामी ने आरोपी ऋषभ शर्मा के “जांच के दौरान असहयोगात्मक रवैये” पर ध्यान दिया और उसे जांच में शामिल होने का निर्देश देते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी।
यह मामला धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात और जालसाजी से संबंधित है।
न्यायाधीश ने कहा, “साक्ष्य के निष्कर्ष के लिए आरोपियों से निरंतर पूछताछ के अवसर को नकार कर पुलिस की जांच की शक्ति को कम नहीं किया जा सकता है, खासकर इस प्रकृति के मामले में जहां कई तथ्य अभी भी सुलझने बाकी हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी “धोखाधड़ी के गंभीर अपराध” में शामिल था जिसमें बड़ी रकम शामिल थी और जांच शुरुआती चरण में थी।
अदालत ने 12 जून को पारित एक आदेश में आगे कहा कि आरोपी दिल्ली का स्थायी निवासी नहीं है और मामले में सह-आरोपी अभी भी फरार हैं।
ऋषभ शर्मा ने यह दावा करते हुए अग्रिम जमानत मांगी थी कि वह इस मामले में मुख्य आरोपी नहीं हैं।
अभियोजन पक्ष ने इस आधार पर उनके आवेदन का विरोध किया कि वह अपने जवाबों में टाल-मटोल कर रहे थे और धोखाधड़ी किए गए 11 करोड़ रुपये में से 3.44 लाख रुपये आरोपी के बैंक खाते में पाए गए थे।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि यह राशि कथित तौर पर उनके पिता प्रेम रतन शर्मा द्वारा बैंक खाते में जमा की गई थी, जो मामले में मुख्य आरोपी थे, प्रेम रतन शर्मा को 4 मई, 2023 को गिरफ्तार किया गया था, जबकि प्राथमिकी 2019 में दर्ज की गई थी। .