सुप्रीम कोर्ट ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से संबंधित धनशोधन मामले में शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को चिकित्सकीय आधार पर अंतरिम जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर तत्काल सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया।
इस मामले को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष रखा गया और ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तत्काल सुनवाई की मांग की।
पीठ ने कहा, “किसी को जमानत मिल गई है…लोग जेलों में सड़ रहे हैं।”
उच्च न्यायालय ने 12 जून को कहा था कि आरोपी जानलेवा बीमारियों से पीड़ित था जिसके लिए तत्काल चिकित्सा और ऑपरेशन के बाद देखभाल की जरूरत थी। इसने कहा था, “हर व्यक्ति को पर्याप्त और प्रभावी इलाज पाने का अधिकार है।”
कोर्ट ने महेंद्रू पर कई शर्तें लगाई थीं, जिसमें यह भी शामिल है कि वह अस्पताल और अपने घर की सीमा नहीं छोड़ेंगे और देश भी नहीं छोड़ेंगे।
ईडी ने महेंद्रू के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत इंफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है।
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी से उपजा है।
सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे खत्म कर दिया। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी इस मामले में आरोपी हैं।