सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जे चेलमेश्वर के मुताबिक, कुछ जज आलसी होते हैं। उनके मुताबिक, कॉलेजियम बेहद अपारदर्शी तरीके से काम करता है।
जब न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप सामने आते हैं, तो कोई कार्रवाई नहीं होना आम बात है। उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि कुछ न्यायाधीश आलसी होते हैं और समय पर अपना निर्णय भी नहीं लिखते हैं। जजमेंट लिखने में उन्हें सालों लग जाते हैं, बहुत से लोग काम करना नहीं जानते हैं।
मंगलवार को जस्टिस चेलमेश्वर ने कोच्चि, केरल में एक सेमिनार में “क्या कॉलेजियम संविधान से अलग है?” विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम के समक्ष कई मामले लाए जाते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में कुछ नहीं होता है। यदि न्यायाधीशों पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं, तो कार्रवाई की जानी चाहिए। सामान्य प्रक्रिया उस न्यायाधीश का स्थानांतरण करना है जो आरोप का विषय है।
उन्होंने कहा कि अगर मैं अभी कुछ कहता हूं तो सेवानिवृत्ति के बाद मुझे यह कहते हुए ट्रोल किया जाएगा कि मैं न्यायपालिका को क्यों परेशान कर रहा हूं, लेकिन यह मेरा भाग्य है। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के मामले में मेरी असहमत राय में, मैंने कभी भी न्यायाधीशों के चयन को कार्यपालिका को सौंपने का सुझाव नहीं दिया। मैं किसी और की तुलना में जोखिमों के बारे में अधिक जागरूक हूं।
जस्टिस चेलमेश्वर ने 42वें संशोधन के बारे में कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बयान के जवाब में कहा, ‘कॉलेजियम प्रणाली को कैसे मजबूत किया जाए, ताकि आम आदमी को इसका लाभ मिले, इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।