इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों को स्थानीय भाषा में अनुवादित करने कि पहल को आगे बढ़ाते हुए निर्णयों का अनुवाद हिंदी में शुरू कर दिया है।
सबसे हालिया उदहारण 69000 शिक्षक भर्ती में जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ल द्वारा दिए गए निर्णय का हिंदी अनुवाद है।
भारत सरकार और माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक पहल की है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय और माननीय उच्च न्यायालय के निर्णयों की प्रतियां भी आम आदमी और संबंधित विभागों को सभी स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराई जाएं।
इसके अनुसरण में, 26 मार्च, 2023 को माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री प्रीतिंकर दिवाकर के शपथ समारोह के बाद, इस संबंध में त्वरित कदम उठाते हुए माननीय उच्च न्यायालय, Allahabad High Court की लखनऊ खंडपीठ के माननीय न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला ने वर्ष 2020 की रिट-ए संख्या-13156 के निर्णय को स्थानीय भाषा (हिंदी) में अनुवादित कर वेबसाइट पर अपलोड किया है।
स्थानीय भाषा में इस फैसले के प्रकाशन से आम आदमी के साथ-साथ संबंधित विभागों को फैसले को समझने और लागू करने में बेहद आसानी होगी।
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर हिंदी निर्णयों के सम्बन्ध में अलग से व्यस्था प्रदान कर दी है, जहा पर जाकर कोई भी हिंदी में निर्णयों को पढ़ सकता है।
आपको बता दे कि हाल ही में मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों का चार भाषाओं में अनुवाद किये जाने हेतु जानकारी दी थी।
CJI ने कहा था कि:
“एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल जिसे हमने हाल ही में अपनाया है, क्षेत्रीय भाषाओं में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का अनुवाद है। क्योंकि हमें यह समझना चाहिए कि जिस भाषा का हम उपयोग करते हैं, अर्थात् अंग्रेजी, एक ऐसी भाषा है जो हमारे 99.9% नागरिकों के लिए, विशेष रूप से अपने कानूनी अवतार में, समझने योग्य नहीं है, ऐसे में वास्तव में न्याय तक पहुंच सार्थक नहीं हो सकती, जब तक कि नागरिक सक्षम न हों। जिस भाषा में वे बोलते और समझते हैं, उस भाषा में पहुंच और समझ सकते हैं, जो निर्णय हम उच्च न्यायालयों में या उच्चतम न्यायालयों में देते हैं,”
CJI की इस पहल कि सराहना करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर वीडियो शेयर कर प्रसंशा कि थी।
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी देश में अदालतों की पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों में क्षेत्रीय भाषाओं के इस्तेमाल की हिमायत की है और कहा कि वह एक भाषा को ‘थोपने’ के खिलाफ हैं।
रिजिजू ने यह भी कहा कि न्याय तक आसान पहुंच “समय की पुकार” है।