7 हजार से ज्यादा वकीलों के वेरिफिकेशन पर रोक- ये है वजह

उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने प्रदेशभर के उन वकीलों की सूची जारी की है जिनका वेरिफिकेशन अब तक नहीं हो पाया है। वकीलों के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया हर पांच साल में होती है, जिसमें वकीलों को अपने सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने होते हैं। इस वर्ष, बड़ी संख्या में वकीलों ने अधूरे दस्तावेज जमा किए हैं, जिससे उनके वेरिफिकेशन पर रोक लगा दी गई है।

वेरिफिकेशन की स्थिति

लखनऊ और प्रयागराज में सबसे ज्यादा वकील हैं जिनका वेरिफिकेशन नहीं हो सका है। लखनऊ के 2897 और प्रयागराज के 2052 वकीलों के दस्तावेज अधूरे पाए गए हैं। इसके अलावा, वाराणसी में 653, अयोध्या में 124, मथुरा में 179, आजमगढ़ में 305, आगरा में 329, सुल्तानपुर में 274, अमेठी में 47, बाराबंकी में 252, बंदायू में 125, महोबा में 76, जौनपुर में 355, गोंडा में 208 और सिद्धार्थनगर में 112 वकीलों का वेरिफिकेशन नहीं हो पाया है।

जांच कमेटी की कार्यवाही

वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को निष्पक्ष और सही तरीके से पूरा करने के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है जिसमें रिटायर्ड जज भी शामिल हैं। यह कमेटी वकीलों के दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है। जिन वकीलों ने अधूरे दस्तावेज जमा किए हैं, उनका नाम बार काउंसिल से हटाया जा सकता है।

जांच कमेटी खासतौर पर 10वीं और 12वीं की मार्कशीट की जांच कर रही है। इसका उद्देश्य फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रैक्टिस कर रहे वकीलों को बाहर करना है। जिन वकीलों ने आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं किए हैं, उन्हें बार काउंसिल से नाम हटाए जाने की चेतावनी दी गई है।

इस बार वेरिफिकेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सख्ती को ध्यान में रखा गया है ताकि फर्जीवाड़े को रोका जा सके और प्रैक्टिस कर रहे सभी वकील सही और वैध दस्तावेजों के साथ अपनी प्रैक्टिस जारी रख सकें।

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