नई दिल्ली, 28 मार्च 2025: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को तीन न्यायाधीशों के स्थानांतरण की अधिसूचना जारी की। इसके तहत, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी.डी. सिंह और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा तथा उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया है।
हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का विवादास्पद स्थानांतरण

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का नाम हाल ही में विवादों में आया था। उनके दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर 14 मार्च को आग लगने के बाद कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। इस घटना के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो इन आरोपों की जांच कर रही है। इस बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा से सभी न्यायिक कार्य वापस ले लिए थे।
सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने 24 मार्च को उनकी मूल अदालत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापसी की सिफारिश की थी। हालांकि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने उनके स्थानांतरण का विरोध करते हुए इसे “न्यायपालिका की साख पर आघात” बताया है और उनके द्वारा दिए गए फैसलों की समीक्षा की मांग की है।
न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और सी.डी. सिंह का स्थानांतरण
उड़ीसा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा, जो अपने निष्पक्ष दृष्टिकोण और प्रभावी निर्णयों के लिए जाने जाते हैं, को भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया है।
इसी प्रकार, दिल्ली उच्च न्यायालय के एक और वरिष्ठ न्यायाधीश, सी.डी. सिंह को भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेजा गया है। इन दोनों स्थानांतरणों को नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है।
संवैधानिक प्रावधान
यह स्थानांतरण संविधान के अनुच्छेद 222(1) के तहत किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति को मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का स्थानांतरण करने का अधिकार है।
न्यायपालिका पर प्रभाव
जहां एक ओर यह कदम प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह स्थानांतरण विशेष रूप से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कानूनी समुदाय के बीच चर्चा का विषय बन गया है।