इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या मामले में आरोपी प्रयागराज के बड़े हनुमान जी मंदिर के पूर्व महंत आद्या प्रसाद तिवारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
सितंबर 2021 में महंत नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज स्थित श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में फंदे से लटका मिला था। घटना के बाद जॉर्ज टाउन थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
इस मामले में आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी को आरोपी बनाया गया। आत्महत्या नोट में महंत ने तीनों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
पहले जांच यूपी पुलिस ने की थी, लेकिन बाद में राज्य सरकार की सिफारिश पर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने 20 नवंबर 2021 को आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि महंत नरेंद्र गिरि को अपने शिष्य आनंद गिरि और अन्य के व्यवहार से इतनी ‘गंभीर मानसिक पीड़ा’ हुई कि उन्होंने समाज में अपमान से बचने के लिए आत्महत्या कर ली।
न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पहले ही 21 जनवरी 2022 को सत्र न्यायालय ने तिवारी की जमानत अर्जी नामंजूर कर दी थी।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत गठित अंडरट्रायल रिव्यू कमेटी (UTRC) यह जांच करे कि क्या अभियुक्त को भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 479 के तहत अधिकतम अवधि तक हिरासत में रहने के कारण रिहा किए जाने की अनुशंसा की जा सकती है।
कमेटी को दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आदेश दिया कि यह निर्देश तत्काल संबंधित समिति और उसके सदस्यों तक पहुंचाया जाए।
अभियुक्त पक्ष ने तर्क दिया कि आद्या प्रसाद तिवारी अब तक सजा की अधिकतम अवधि के एक-तिहाई से अधिक समय तक जेल में रह चुके हैं, इसलिए वे जमानत पाने के हकदार हैं। धारा 306 के तहत अधिकतम सजा दस वर्ष है।
वहीं, अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त जानबूझकर मुकदमे की कार्यवाही में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
सत्र न्यायाधीश ने 31 मार्च 2023 को तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। वर्तमान में तीनों आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं और मुकदमे की सुनवाई जारी है।




